tag:blogger.com,1999:blog-1599524149276215822.post6031211656788232478..comments2023-10-24T02:14:18.758+05:30Comments on भारतश्री: साम्यवाद का बिगड़ैल पुत्र है नक्सलवाद !पवन कुमार अरविन्दhttp://www.blogger.com/profile/08387317907418244334noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-1599524149276215822.post-63766174609513812872017-05-05T14:25:12.878+05:302017-05-05T14:25:12.878+05:30भारतीय सिर्फ जाती धर्म के आधार पर ही नहीं "वा...भारतीय सिर्फ जाती धर्म के आधार पर ही नहीं "वाद" के आधार पर भी बंटे है-गांधीवाद, नेहरूवाद, सेकुलरवाद, माओवाद, नक्सलवाद, अलगाववाद, आतंकवाद, वामपंथ, क्षेत्रवाद, भाषावाद, संप्रदायवाद, दलितवाद, पिछरावाद इत्यादि इत्यादि और ये "वाद" जाती-धर्म से ज्यादा विघटनकारी साबित हो रहे है. ये "वाद" देश की एकता और अखंडता के लिए सबसे बड़ी समस्या बन गयी है क्योंकि इतने "वादों" से ग्रस्त भारतीय जनता एकजुट हो ही नहीं सकती. जबतक इन विघटनकारी सडांध "वादों" को समाप्त कर केवल कल्याणकारी "राष्ट्रवाद" को प्रस्थापित नहीं किया जाता भारत की एकता अखंडता, शांति और समृद्धि पर प्रश्नचिंह हमेशा लगा रहेगा. इसलिए मेरी प्रार्थना है सब वादों को त्यागकर हितकर और सुखकर राष्ट्रवाद को अपनाइए तथा अपने परिवार और अपने देश को बचाइए.markets monitorhttps://www.blogger.com/profile/10494164106345493826noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1599524149276215822.post-52189320714564403352011-01-06T15:37:08.836+05:302011-01-06T15:37:08.836+05:30नक्सली मार्क्सवादियों के घोषित हिंसक अवतार हैं, क...नक्सली मार्क्सवादियों के घोषित हिंसक अवतार हैं, किंतु स्वयं मार्क्सवादी लोकतंत्र व प्रजातात्रिक मूल्यों को कितना महत्व देते हैं? हिंसा मार्क्सवादी दर्शन के केंद्र में प्रधान स्थान क्यों रखती है? क्यों वे हिंसा के बल पर अपने वैचारिक प्रतिद्वंद्वियों के दमन पर उतारू हो उठते हैं? ऐसा इसलिए कि मार्क्सवाद सभ्य समाज के प्रति हिंसा, प्रतिरोध और असंतोष का दर्शनशास्त्र है।अवनीश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/08330116993539689193noreply@blogger.com