पवन कुमार अरविंद
नई दिल्ली । श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव एवं विहिप के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष चम्पत राय श्रीरामजन्मभूमि की सामाजिक एवं कानूनी लड़ाई के चलते-फिरते इनसाइक्लोपीडिया (विश्वकोश) हैं। उनको 'अयोध्या का पटवारी' भी कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी, क्योंकि उनको अयोध्या की एक-एक गली, एक-एक मोहल्ले की भौगोलिक रचना कंठस्त है। श्रीरामजन्मभूमि के आसपास की एक-एक इंच भूमि के बारे में वे जानकारी रखते हैं। अयोध्या आंदोलन के एक स्तंभ माने जाने वाले विहिप के केंद्रीय मंत्री राजेंद्र सिंह 'पंकज' ने यह बात कही है।
राजेंद्र सिंह 'पंकज' ने हिन्दुस्थान समाचार से बातचीत में कहा कि श्रीरामजन्मभूमि के सामाजिक आंदोलन के साथ-साथ कानूनी लड़ाई में भी चम्पत राय की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उन्होंने अपने कक्ष को श्रीरामजन्मभूमि की फाइलों और साक्ष्यों से भर रखा था। नित्य वकीलों को सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत करने के लिए नये-नये साक्ष्यों को देर रात तक खोज कर उपलब्ध कराना, सुबह वकीलों के साथ सुप्रीम कोर्ट में जाना और सुनवाई के दौरान पूरे वक्त धैर्यपूर्वक बैठे रहना, यह कोई सामान्य बात नहीं है। डॉक्यूमेंट को संभालकर रखना और उसको समय आने पर निकाल देना यह उनके स्वभाव में ही है।
चम्पत राय चाहते तो अच्छी नौकरी करते, समाज में प्रतिष्ठापूर्ण जीवन जी सकते थे, परंतु उन्होंने चुना कठिनाइयों से भरा मार्ग। मन में निश्चय कर लिया चाहे कितनी भी बाधाएं आयें अब यह जीवन अपने लिए नहीं राष्ट्र के लिए समर्पित होगा और कार्य का माध्यम होगा संघ। वर्ष 1980 में संघ के प्रचारक निकले। सहारनपुर और देहरादून में जिला प्रचारक रहे। इसके बाद 1985 में मेरठ के विभाग प्रचारक रहे।
उन्होंने बताया कि वर्ष 1986 में चम्पत राय को विहिप में भेज दिया गया। उनको पश्चिमी उत्तरप्रदेश का सह-प्रांत संगठन मंत्री बनाया गया। उमाशंकरजी प्रांत संगठन मंत्री थे। तब उत्तर प्रदेश में सांगठनिक रूप से दो प्रांत हुआ करते थे। पश्चिमी उत्तर प्रदेश और पूर्वी उत्तर प्रदेश। इसके बाद उत्तरप्रदेश के सह क्षेत्र संगठन मंत्री और क्षेत्र संगठन मंत्री भी रहे। वर्ष 1991 से अयोध्या उनका केंद्र रहा। उस समय अयोध्या बहुत बड़ी गतिविधियों का केंद्र हुआ करता था। अयोध्या में संगठन के सारे कार्यक्रमों की योजना बनाना, उसको व्यवस्थित ढंग से चलाना, उसका इंतजाम देखना, ये सब चम्पत जी के जिम्मे था। लेकिन वे कभी फ्रंट पर नहीं आते थे, या यूं कहें कि पर्दे के पीछे रहकर सारा काम करते थे। प्रचार-प्रसार से दूर रहना उनके स्वभाव में भी है। अब तो मजबूरी में मीडिया से भी बात करनी पड़ जाती है। उन्होंने बताया कि चम्पत जी से मेरा परिचय 1976-77 के दौरान हुआ। आपातकाल में चम्पत जी बरेली, नैनी और आगरा की जेलों में करीब 18 महीने रहे। उस दौरान वे बिजनौर जिले के संघ के जिला कार्यवाह थे।
चम्पत राय के छोटे भाई एवं संघ के सक्रिय कार्यकर्ता संजय कुमार बंसल ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि वर्ष 25 जून, 1975 को जब देश में आपातकाल लगा तब चम्पत राय बिजनौर जिले के धामपुर स्थित आ.एस.एम. डिग्री कॉलेज में भौतिकी के प्रवक्ता थे। पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने कॉलेज पहुंची। चम्पत राय को प्राचार्य के कक्ष में बुलवाया गया। उस समय वे कॉलेज में विद्यार्थियों को पढ़ा रहे थे। प्राचार्य कक्ष में चम्पत राय ने पुलिस से कहा कि घर से वे कपड़े लेकर पुलिस कोतवाली में पहुंच रहे हैं। घर पहुंचकर उन्होंने माता-पिता को सारी बातें बतायीं। माता-पिता ने उनका तिलक किया और उनको पुलिस कोतवाली तक छोड़ने साथ गये। करीब 18 महीने तक जेल में रहने के बाद जब आपातकाल समाप्त हुआ तो उनको रिहा कर दिया गया। वर्ष 1980 में उन्होंने नौकरी से इस्तीफा दे दिया और वृद्ध माता-पिता एवं आठ छोटे भाई-बहनों को छोड़कर संघ के प्रचारक बन गए।
संजय कुमार बंसल बताते हैं कि भैया चम्पत राय को संघ की शाखा में जाने की प्रेरणा पिताजी से मिली। वह शुरू से ही मेधावी छात्र रहे। प्रो. राजेंद्र सिंह (रज्जूभैया), ओम प्रकाश, सूर्यकिशन, सलेकचंद्र एवं अन्य पदाधिकारियों का घर पर आना-जाना लगा रहता था। इन सब बातों का चम्पत राय के बालमन पर विशेष प्रभाव पड़ा और उन्होंने भी संघ की शाखा में जाना शुरू कर दिया।
संक्षिप्त परिचय
चम्पत राय बंसल का जन्म 18 नवम्बर 1946 को उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के नगीना कस्बे में मोहल्ला सरायमीर के रामेश्वर प्रसाद और सावित्री देवी के साधारण परिवार में हुआ। पिता रामेश्वर प्रसाद बाल्यकाल से ही संघ के सक्रिय कार्यकर्ता रहे। वर्ष 1948 में संघ पर प्रतिबंध लगा और पिता रामेश्वर प्रसाद को तीन माह के लिए जेल में डाल दिया गया। तब चम्पत राय की आयु करीब तीन वर्ष की थी। प्राथमिक शिक्षा कस्बे के प्राथमिक पाठशाला से हुई। हिंदू इंटर कॉलेज से इंटरमीडिएट किया। वर्ष 1967 में मेरठ कॉलेज, मेरठ से बी.एस-सी. और 1969 में एम.एस-सी. वर्धमान कॉलेज, बिजनौर से करने के बाद 1970-71 में रोहतक के एक डिग्री कॉलेज में अध्यापक बन गए। उसके बाद 1972 में आर.एस.एम. डिग्री कॉलेज, धामपुर (बिजनौर) में भौतिकी के प्रवक्ता बन गए। चम्पत राय परिवार में दूसरे नंबर के भाई हैं। बड़े भाई लाजपत राय बंसल मुख्य अभियंता पद से सेवानिवृत्त हो चुके हैं। माता सावित्री देवी एक धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थीं। पिताजी का देहांत जुलाई 2003 में हुआ। चम्पत राय वर्ष 1996 में विहिप के केंद्रीय मंत्री बनाए गए। वर्ष 2002 में सयुक्त महामंत्री और फिर अंतरराष्ट्रीय महामंत्री बनाए गए। वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं।