अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और अयोध्या स्थित हनुमानगढ़ी के प्रमुख महंत ज्ञानदास ने गंगा की अविरलता और निर्मलता के प्रति एक बार फिर अपनी प्रतिबद्धता दुहराई है और कहा कि गंगा रक्षा के लिए चलाए जा रहे प्रत्येक आंदोलन को हमारा पूर्ण-रूपेण समर्थन है और रहेगा।
मैंने महंत ज्ञानदास से दूरभाष पर गंगा के संदर्भ में विस्तृत बातचीत की है। उन्होंने अयोध्या से मुझे बताया कि यह महत्व नहीं रखता कि गंगा रक्षा के लिए आंदोलन कौन चला रहा है। बल्कि इसके लिए यही महत्व का विषय है कि गंगा की रक्षा होनी चाहिए, चाहे यह आंदोलन कोई चलाए। हमारा पूर्ण-रूपेण समर्थन है।
अखाड़ा परिषद अध्यक्ष ने कहा- ‘हरिद्वार के मातृ सदन में गंगा रक्षा की मांग को लेकर पिछले 25 दिनों से आमरण अनशन पर बैठे प्रोफेसर गुरुदास अग्रवाल को हमारा पूर्ण-रूपेण समर्थन है। मैंने अखाड़ा परिषद की ओर से बाबा हठयोगी को अग्रवाल के पास उनका हालचाल जानने और परिषद का समर्थन व्यक्त करने के लिए भेजा था। उनके अनशन को हमारा पूरा समर्थन है।’
ज्ञातव्य है कि प्रख्यात वैज्ञानिक एवं पर्यावरणविद् प्रोफेसर अग्रवाल लोहारीनागपाला जलविद्युत परियोजना सहित गंगा पर निर्माणाधीन व प्रस्तावित सभी परियोजनाओं के निरसरन की मांग कर रहे हैं। उनके इस मांग का साधु-संतों सहित विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक संगठनों ने खुला समर्थन व्यक्त किया है।
महंत ज्ञानदास ने गंगा रक्षा मंच के संयोजक और योग गुरू स्वामी रामदेव द्वारा सोमवार को देहरादून-रुड़की राष्ट्रीय राजमार्ग जाम करने के संदर्भ में पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में केवल इतना ही कहा कि संत समाज गंगा के साथ हो रहे अन्याय के कारण सरकार के रवैये से नाराज है और वह अपनी नाराजगी का प्रकटीकरण भिन्न-भिन्न तरीकों से कर रहा है।
महंत ज्ञानदास ने कहा- ‘हम अविरल और निर्मल गंगा के मुद्दे पर किसी भी तरह का समझौता करने के पक्ष में नहीं हैं। हम केवल यही चाहते हैं कि सरकार इसके लिए पर्याप्त कदम उठाए। संत-महात्माओं और हिंदू समाज को केवल यही मंजूर है।’
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने अभी तक गंगा रक्षा के मुद्दे पर केवल और केवल धोखा देने का कार्य़ किया है। उन्होंने केंद्र सरकार से प्रश्न करते हुए कहा- ‘गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित करने का आखिर क्या मतलब है जब आप इसकी रक्षा के लिए ही कोई कदम नहीं उठा रहे हैं और आप इसकी रक्षा के नाम पर साधु-संतों सहित समूचे हिंदू समाज को धोखा दे रहे हैं।’
महंत ज्ञानदास ने केंद्र सरकार पर गंगा के साथ अत्याचार और उसकी हत्या करने का आरोप लगाया और कहा कि सरकार का रवैया न तो गंगा के हित में है और न ही देश के हित में, यह सरासर अन्याय है।
उन्होंने कहा- ‘यदि गंगा नहीं रहेगी तो हम लोग कहीं के नहीं रहेगें। अगर गंगा नहीं रही तो हरिद्वार, प्रयाग, काशी और गंगा सागर नहीं रहेगा।’
महंत ज्ञानदास ने कहा- ‘गंगा एक ऐसी नदी है जो हर जगह अपना छाप छोड़ती है। दूसरी नदियों में यह शक्ति नहीं हैं, जो गंगा में हैं। अगर कोई नदी सागर में मिलती है तो उसका अस्तित्व समाप्त हो जाता है। लेकिन गंगा जब सागर में मिली तो उसका नाम गंगा सागर हो गया। यह हमारी गंगा मां की पहचान है। हम लोग बहुत ज्यादा व्यथित हैं, परेशान हैं। हम हिन्दू, साधु-सन्त हिन्दुस्तान में रहकर यदि मां गंगा को नहीं बचा सकते तो कर क्या सकते हैं।’