रविवार, मार्च 28, 2010
विवादित ढांचा : अंजू रिजवी (गुप्ता) के बयान झूठे !
6 दिसंबर, 1992 को अयोध्या में जो कुछ भी हुआ, वो नहीं होना चाहिए था। वह आक्रोशित भीड़ या ( जिसने भी किया हो) द्वारा उठाया गया एक बुरा कदम था। लेकिन वर्ष 1526 में विदेशी आक्रांता बाबर के सेनापति मीरबांकी ने जो किया, वह 1992 की घटना से भी अधिक बुरा और असहनीय था।
खैर, मस्जिद भी ढाह दिया गया, जो अवश्यभांवी था। इसका मामला सीबीआई की विशेष अदालत में विचाराधीन है।
अब प्रश्न उठता है कि क्या सचमुच भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने ढ़ांचा गिरते समय भड़काऊ भाषण दिया था? इस संबंध में आयोध्या मामले की सुनवाई कर रही रायबरेली की विशेष अदालत में दिए अपने बयान में वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अंजू रिजवी (गुप्ता) ने तरह-तरह के तर्क दिए हैं। हालांकि, रिजवी का यह बयान कितना सही है, यह उनके सिवाय दुनिया का और कोई भी व्यक्ति नहीं बता सकता।
फिलहाल, अंजू रिजवी (गुप्ता) का बयान झूठ है या सही, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। लेकिन कांग्रेसी राज में उनकी पदोन्नति के लिए पर्याप्त है।
दरअसल, अंजू रिजवी (गुप्ता) 6 दिसंबर, 1992 को ढांचा ध्वस्त होने के समय फैजाबाद जिले की असिस्टेंट एसपी थीं और उन्हें आडवाणी की सुरक्षा का महत्वपूर्ण जिम्मा सौंपा गया था।
अंजू रिजवी (गुप्ता) बयान देने के कारण महत्वपूर्ण व्यक्ति बन गई हैं। इसलिए उनके जीवन की अतिसंक्षिप्त जानकारी पर प्रकाश डालना भी मैं समीचीन ही मानता हूँ। वे फिलहाल रिसर्च एंड एनालिसिस विंग(रॉ) में डीआईजी के पद पर कार्यरत हैं। अंजू गुप्ता ने अपने सहयोगी वरिष्ठ पुलिस अधिकारी एस.ए. रिजवी से निकाह कर लिया था, जिसके बाद वह भी गुप्ता से रिजवी हो गईं। एक मुसलमान से निकाह की कीमत पर उनको अपना धर्म परिवर्तन करना पड़ा। क्योंकि, इस्लाम किसी गैर-मुस्लिम को बिना धर्म परिवर्तन कराए अपने साथ लेने की इजाजत नहीं देता। फिलहाल, ये दो प्रेमियों के बीच का और प्यार का मामला है, इसलिए इससे मेरा कोई लेना देना नहीं है।
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अंजू रिजवी ने रायबरेली में सीबीआई की विशेष अदालत के समक्ष कहा कि बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के दिन लालकृष्ण आडवाणी ने भड़काऊ भाषण दिया था।
उन्होंने अभियोजन पक्ष की ओर से 6 दिसंबर के बारे में अदालत में गवाही देते हुए कहा, "मैं फ़ैजाबाद की सीमा से आडवाणी के साथ थी और वह राम कथा कुंज में अन्य भाजपा नेताओं के साथ मौजूद थे।"
उन्होंने कहा, "कलराज मिश्रा, डॉ. मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, विनय कटियार, गिरिराज किशोर, अशोक सिंघल और प्रमोद महाजन सहित अन्य नेता भी उस जगह पर मौजूद थे।"
अंजू रिजवी (गुप्ता) ने आडवाणी के भाषण का ज़िक्र करते हुए बताया, "आडवाणी ने अपने समर्थकों से कहा कि मंदिर उसी जगह पर बनेगा।"
उनके मुताबिक आडवाणी के भाषण के बाद कार सेवकों का बाबरी मस्जिद की ओर बढ़ना शुरू हुआ, जो राम कथा कुंज से सिर्फ़ 150 मीटर की दूरी पर था।
अंजू ने कहा, "मंच पर आडवाणी, डॉ. मुरली मनोहर जोशी, विनय कटियार, उमा भारती, साध्वी ऋतंभरा, अशोक सिंघल समेत कम से कम सौ नेता मौजूद थे, जिनमें से 80 को तो मैं अभी भी पहचान सकती हूं।"
अंजू ने कहा कि विनय कटियार, उमा भारती, साध्वी ऋतंभरा और अन्य नेताओं ने भी भीड़ को उकसाया था।
उन्होंने कहा, "मस्जिद गिराए जाने के बाद वहां मौजूद लोगों में इतनी खुशी थी कि वे आपस में गले मिल रहे थे और मिठाइयाँ बँट रही थीं।"
अभियोजन पक्ष की ओर से गवाही देने के बाद बचाव पक्ष के वकील ने भी उनसे कुछ सवाल पूछे। इसके बाद अदालत की कार्यवाही 23 अप्रैल तक स्थगित कर दी गई। उनसे फिर सवाल-जवाब 23 अप्रैल को होगा। और इसके बाद वे क्या रहस्य खोलती हैं, देखना व सुनना दिलचस्प होगा।
झूठ बोल रही हैं अंजू
यह मैं नहीं कह रहा बल्कि उस दौरान अंजू रिजवी के तत्कालीन मातहत अधिकारी भोजदत्त मिश्रा का बयान है।
मिश्रा विवादित ढांचा गिराए जाने वाले दिन लालकृष्ण आडवाणी की सुरक्षा में बतौर प्लाटून कमांडर (42 पीएसी, उप्र.) तैनात थे।
भोजदत्त मिश्रा का कहना है कि अंजू रिजवी द्वारा अदालत में दिया गया बयान सरासर झूठ है। मिश्रा ने यह भी कहा कि 6 दिसंबर, 1992 को भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कोई भड़काऊ या जोशीला भाषण नहीं दिया था।
मिश्रा के मुताबिक, 6 दिसंबर को अंजू रिजवी (गुप्ता) आडवाणी की सुरक्षा इंचार्ज थीं, जबकि भाजपा नेता की सुरक्षा का जिम्मा उनको (मिश्रा) सौंपा गया था। उन्होंने कहा कि छह दिसंबर को मैं सुबह सात बजे से लेकर रात करीब 10 बजे तक आडवाणी के साथ था। उन्होंने जोर देकर कहा कि अयोध्या में आडवाणी ने कोई भड़काऊ भाषण नहीं दिया।
उन्होंने कहा कि अन्य किसी नेता ने भी ऐसा भाषण नहीं दिया। रात दस बजे आडवाणी ने अयोध्या से प्रस्थान किया था, तब तक मैं लगातार आडवाणी के साथ था। उन्होंने यह भी कहा कि अयोध्या में लाखो कारसेवकों की मौजूदगी के बावजूद शहर में तंग माहौल नहीं था। सब्जी मंड़ी सहित सभी दुकानें खुली हुई थीं। यहां तक मुस्लिम दुकनदारों ने भी दुकानें खोल रखी थीं। हालांकि, विवादित ढांचे पर सबसे पहले (सुबह करीब दस बजे) रानी लक्ष्मीबाई जैसा सफेद रंग का लिबाज पहने एक महिला चढ़ी थी। इसके बाद अन्य लोगों ने ढांचे पर चढ़ने का प्रयास किया। शुरूआत में कई लोग गिर कर जख्मी भी हो गए।
कमांडर मिश्रा ने दावा किया किया कि घटना वाले दिन अंजू रिजवी (गुप्ता) सुबह 11 बजे तक मौके पर दिख रहीं थीं, लेकिन इसके बाद वे नजर नहीं आईं। इस बात की सूचना स्वयं मैंने नियंत्रण कक्ष को दी थी। आडवाणी महंत अवैद्यनाथजी के मकान में ठहरे थे। वे 6 दिसंबर को सुबह रामजन्म भूमि गए थे।
मिश्रा ने बताया, ‘आडवाणी को जब पता चला कि कारसेवक विवादित ढांचा ढहाने का प्रयास कर रहे हैं तो उन्होंने माइक हाथ में लेकर अपील की कि यह केवल प्रतीकात्मक कारसेवा है। इसलिए कोई ढांचे को नुकसान नहीं पहुंचाए। देशभर से कारसेवकों के अयोध्या में पहुंचे के कारण सभी कार सेवक हिंदी नहीं जानते थे।’
‘इसलिए आडवाणी ने देश के विभिन्न राज्यों की भाषा के जानकार एक नेता (मुझे नाम याद नहीं है) से यह अपील करने को कहा था कि विवादित ढांचा न तोड़ा जाए। इस पर चिंतित नेता ने भी कारसेवकों से अलग-अलग भाषाओं में इसी आशय की अपील की।’
उन्होंने बताया, “इतने पर भी ढांचा गिराए जाने की कवायद जारी रहने पर आडवाणी ने कारसेवकों को मौके से हटाने की व्यवस्था करने को कहा था। मंच के पास लाल रंग का फोन था। इस फोन से आडवाणी ने किसी से फोन पर बात करते हुए कहा था कि यह सब क्या हो रहा है?” हालांकि भोजदत्त ने कहा कि मुझे यह नहीं पता कि आडवाणी फोन पर किससे बातचीत कर रहे थे।
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anju ke sath rijvi to midiya me khin nhi aaya aap ke blog pr hi pta chala hai to sb bat spsht ho gai ab koi bat baki nhi hai yh to rjvi hone ke nate unhe krna hi tha pr adalt aise jhoothe logo ko sja de
dr.ved vyathit
हिन्दू ही हिन्दुओं को नुकसान पहुंचाने का महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं.
सादर वन्दे!
बहुत ही उपयुक्त जानकारी दी आपने !
साधुवाद!
रत्नेश त्रिपाठी
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