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26/11 मुंबई हमलों के संदर्भ में कानूनी प्रक्रिया ने यह प्रमाणित कर दिया है कि पाकिस्तान न केवल जिहादी आतंकवाद की फौज तैयार कर रहा है बल्कि उसे भारत के विरुद्ध खुले रूप में इस्तेमाल भी कर रहा है।
आतंकवाद के प्रति यूपीए सरकार की नरम नीतियों के कारण ही पाकिस्तान समर्थित आतंकियों के हौसले में वृद्धि हो रही है।
संसद पर हमला कर भारत की संप्रभुता को खुली चुनौती देने वाले अफजल गुरु को शीर्ष अदालत से फांसी की सजा पर अंतिम मुहर लगे करीब चार वर्ष हो गए लेकिन यूपीए सरकार आदेश पर कुंडली मारे बैठी है और वोट का नफा-नुकसान भांप रही है।
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अफजल के संदर्भ में सरकार के रवैये से स्पष्ट होता है कि वह आतंकियों के प्रति नरम नीति अपना रही है। यदि ऐसा नहीं होता तो अफजल को कभी फांसी हो गई होती।
इन दुर्दांत आतंकियों को फांसी पर शीघ्र लटका देना भारत और भारतीय जनता के हित में है। नहीं तो इन सजायाफ्ता आतंकियों को छुड़ाने के लिए पाकिस्तान में बैठे इनके आका कांधार विमान अपहरण जैसा कोई और कांड कर सकते हैं। वैसी स्थिति में भारत सरकार हाथ मलती रह जाएगी। और उसके पास पश्चाताप के शिवाय कोई दूसरा चारा नहीं रह जाएगा।
26/11 मामले में कसाब के फैसले से भारत को एक महत्वपूर्ण अवसर हाथ लगा है। इसलिए इस अवसर को व्यर्थ नहीं गवांना चाहिए।
यही समय है कि संसद भवन पर हमले के मुख्य अभियुक्त अफजल गुरू और मुंबई हमले के अभियुक्त अजमल आमिर ईमान ‘कसाब’ को अविलंब फांसी देकर विश्वमंच पर पाकिस्तान की करतूतों को बेनकाब किया जाए।
आखिरकार मुंबई आतंकी हमले में मारे गए निर्दोष लोगों तथा सुरक्षा बलों के जवानों का बलिदान रंग लाया और न्यायिक प्रक्रिया पूरी करके विशेष अदालत ने कसाब को फांसी की सजा सुना दी।
देश में अब तक हुई अनेक जघन्य आतंकी घटनाओं में यह पहला मामला है, जिसमें इतनी त्वरित गति से फैसला आया है।
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केंद्र सरकार को अब समझ लेना चाहिए कि अमेरिका से गुहार लगाकर वह पाकिस्तान पर अंकुश नहीं लगा सकती। क्योंकि अमेरिका तो दक्षिण एशिया में अपने हित-संपादन के लिए पाकिस्तान को मोहरा बनाए हुए है।
इसीलिए भारत में अमेरिकी राजदूत टिमोथी ने इस फैसले पर टिप्पणी करते हुए यह भी जोड़ दिया कि पाकिस्तान ने आतंकवाद के मुद्दे पर अमेरिका का सहयोग करने का संकल्प लिया है।
सरकार को यह ध्यान में रखना चाहिए कि कसाब को सबूतों के आधार पर सजा मिली है, उसकी स्वीकारोक्ति के आधार पर नहीं, पाकिस्तान के खिलाफ इससे बड़ा सबूत और क्या हो सकता है?
इसलिए सरकार को चाहिए कि वह इस अवसर का लाभ उठाकर पूरी दृढ़ता के साथ पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दे। इसमें थोड़ी सी भी चूक भारी पड़ सकती है।
3 टिप्पणियां:
भारत की लु्च्ची सरकार अभी पता नहीं और कितने को जिवनदान देती रहेगी ।
काश! सत्ता के गलियारों में बैठे सुन और समझ सकते यह आवाज ......
ज्वलंत सुलगता सवाल .......
सार्थक प्रयास के लिए धन्यवाद
सादर वन्दे!
आपने बहुत सुन्दर ढंग से इन नाकाबिल हो चुकी सरकार की तस्वीर पेश की है !
रत्नेश त्रिपाठी
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