सोमवार, जून 28, 2010

ठंडा मतलब ‘गोकोला’, कोकाकोला नहीं


अंतरराष्ट्रीय संस्था पीपुल फॉर एथिकल ट्रीटमेंट टू एनीमल (पेटा) के प्रमुख पदाधिकारी और अमेरिकी टीवी चैनल ‘एनीमल प्लेनेट’ से जुड़े ब्राएन पेंडेरगस्ट ने कानपुर गोशाला सोसाइटी, भौती के कार्यों की सराहना करते हुए उसके ताजा उत्पाद ‘गोकोला’ (शीतल पेय) पर फिल्म निर्माण की अनुमति मांगी है।

श्री पेंडेरगस्ट का कहना है कि गोकोला के साथ-साथ गोशाला की अन्य गतिविधियों पर भी फिल्म का निर्माण होना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसे उत्पादों का पूरी दुनिया में प्रचार-प्रसार होना चाहिए क्योंकि ये उत्पाद प्राकृतिक होने के साथ-साथ स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभकारी हैं और इनका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है।

उल्लेखनीय है कि कानपुर गोशाला सोसाइटी, भौती कई वर्षों से पंचगव्य (गोमूत्र, गोबर, गोघृत, गोदधि) से करीब 55 प्रकार की औषधियां एवं दैनिक उपयोगी वस्तुएं बना रही है। इसमें संजीवनी अर्क (कैंसर), मोदोहारी अर्क (मोटापा), पंचगव्य मधुमेह चूर्ण, पंचगव्य कब्ज निवारण, वातारि (वायुदोष), कर्णसुधा, नेत्रज्योति जैसी करीब दो दर्जन से अधिक औषधियां हैं, जबकि दैनिक उपोयगी वस्तुओं में साबुन, तेल, मंजन, बाम, टॉयलेट क्लीनर, मच्छररोधी अगरबत्ती आदि शामिल हैं।

इन उत्पादों की बिक्री गोशाला की ओर से देश भर में खोले गए करीब एक हजार आउटलेट के माध्यम से की जाती है। इन उत्पादों के प्रचार के लिए यदि पेंडेरगस्ट की मुहिम परवान चढ़ी तो ठंडा का मतलब गोकोला हो जाएगा।

गोशाला सोसाइटी के महामंत्री श्री पुरुषोत्तम तोषनीवाल ने बताया कि गोकोला का उत्पादन शुरू होते ही चेन्नई, दिल्ली, भोपाल, इंदौर, रायपुर, रांची, पटना तथा गंगानगर सहित देश के विभिन्न आउटलेट पर बिक्री शुरू हो जाएगी। उन्होंने बताया कि एक किलोग्राम गोकोला से करीब 45 ग्लास शीतल पेय तैयार होता है।

श्री तोषनीवाला ने बताया कि गोकोला का फार्मूला अभी पेटेंट नहीं कराया गया है। इसके लिए शीघ्र ही प्रयास शुरू किए जाएंगे। उन्होंने खुशी जाहिर की कि दुनिया अब गाय की महत्ता स्वीकारने लगी है।

गोशाला ने करीब छह माह पहले पंचगव्य से शीतल पेय गोकोला तैयार किया और गुणवत्ता प्रमाणन के बाद आयुष ने इसका लाइसेंस भी जारी कर दिया। पंचगव्य, तुलसी, शंखपुष्पी, ब्राह्मी अर्क, के मिश्रण से तैयार गोकोला स्वादिष्ट होने के साथ ही स्वास्थ्यवर्द्धक भी होता है।

3 टिप्‍पणियां:

सूबेदार ने कहा…

पावन जी
नमस्ते.
बहुत अच्छी पोस्ट लिखा है
संस्कार कभी भी नहीं बदलता
हम सभी एक ही पाठ क़े पथिक है.
बहुत अच्छा लगा
धन्यवाद

Maria Mcclain ने कहा…

You have a very good blog that the main thing a lot of interesting and beautiful! hope u go for this website to increase visitor.

जीत भार्गव ने कहा…

अरे वाह! बड़ी शानदार खबर लाये आप।
ऐसी जानकारी देते रहिए बंधू। क्योंकि हिंदुस्तान के मीडिया से से उम्मीद नही कर सकते।
अब फ़िरंग भी 'गोलीला' की महिमा समझ गए हैं। लेकिन भारत के सेकुलर कब समझेंगे??
लगता है उन्हे सुबह शाम गोमूत्र पिलाकर उनका बुद्धिविकास करना होगा!:)

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