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हालांकि, 40 वर्षीय श्री गांधी ऐसा बचकाना बयान देंगे, यह किसी ने भी नहीं सोचा था। इसलिए उनका बयान हैरत में डालने वाला है। वह देश के लिए एक महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं। केवल सांसद हैं इसलिए नहीं, बल्कि इसलिए भी, क्योंकि वह ऐसे खानदान का प्रतिनिधित्व करते हैं जिसने पंडित नेहरू सहित इस देश को तीन-तीन प्रधानमंत्री दिए हैं। इसलिए राहुल महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं। संसदीय लोकतंत्र में ऐसे बयान को किसी भी सूरत में मर्यादापूर्ण नहीं कहा जा सकता है। यह हर स्थिति में लोकतंत्र की गरिमा को तार-तार करने वाला है।
अब प्रश्न यह उठता है कि जो व्यक्ति आतंकी संगठन और सामाजिक संगठन में अंतर न समझ पाता हो, उस व्यक्ति को भविष्य में यदि कभी देश का नेतृत्व करने का मौका मिले, तो वह देश की बागडोर ठीक से संभाल सकेगा, इस बारे में लोगों को सदैव संदेह बना रहेगा। ध्यातव्य है कि राहुल ने मध्य प्रदेश के त्रि-दिवसीय प्रवास के दौरान कहा था कि कांग्रेस के कार्यकर्ता सिमी और आरएसएस से दूर रहें, क्योंकि ये दोनों संगठन कट्टरवाद के समर्थक हैं और दोनों की विचारधारा में कोई खास फर्क नहीं है।
राहुल ने टिप्पणी तो कर दी लेकिन उनको शायद ही आरएसएस का इतिहास पता हो। वह आरएसएस के संस्थापक का ही ठीक से पूरा नाम नहीं बता सकते। हालांकि, वह आरएसएस को कितना जानते हैं यह बताने के लिए उनका बयान ही काफी है। राहुल के इस प्रकार के ऊल-जुलूल बयान से यह स्पष्ट हो गया है कि उनको इस देश के इतिहास-भूगोल की भी कोई जानकारी नहीं है। राहुल की विशेषता अब केवल स्वर्गीय श्री राजीव गांधी का बेटा होना भर ही रह गया है।
राहुल को यह जानना चाहिए कि सिमी पर भाजपा नीत राजग सरकार ने प्रतिबंध लगाया था। उसके बाद उनकी कांग्रेस नीत यूपीए सरकार ने उस प्रतिबंध को आगे बढ़ा दिया। क्योंकि वह खूंखार आतंकी संगठन है और देश में हुए कई आतंकी विस्फोटों में उसका हाथ है। सिमी पर अमेरिका ने भी प्रतिबंध लगा रखा है। राहुल की नजर में आरएसएस यदि सिमी जैसा संगठन है तो उनको अपनी कांग्रेस नीत यूपीए सरकार से उस पर प्रतिबंध लगाने के लिए कहना चाहिए। यदि आरएसएस सचमुच में सिमी के समान है, तो उनकी सरकार ने आरएसएस पर बिना प्रतिबंध लगाए क्यों छोड़ रखा है, यह सोचने वाली बात है ?
दरअसल, राहुल को स्वयं नहीं पता होता है कि वह क्या बोल रहे हैं। वह हमेशा लिखा हुआ भाषण पढ़ते हैं और भाषण में जो कुछ भी लिखा होता है, उसी को वह पढ़ डालते हैं।
हालांकि, राहुल गांधी के बयान से आरएसएस की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ने वाला। हां, इतना अवश्य है कि राहुल ऐसा बोलकर स्वयं ‘हल्के’ पड़ गए हैं। क्योंकि इस देश की जनता किसी भी राजनेता या श्रेष्ठ व्यक्तित्व से सदैव मर्यादित व संयमित व्यवहार तथा भाषा की अपेक्षा करती है।
कहा जाता है कि आदमी का बड़प्पन जीवन के किसी भी स्थिति, परिस्थित और मनःस्थिति में धैर्य व धीरज बनाए रखते हुए मर्यादापूर्ण आचरण व व्यवहार करने में होता है। लेकिन सामान्य स्थितियों में ही धैर्य खोकर विक्षिप्तावस्था में आ जाना और ऊल-जुलूल बातें करना, यह मनुष्य के व्यक्तित्व के एक वास्तविक पहलू को ही दर्शाता है। ऐसे व्यक्ति से देश के लिए और देशहित में किसी बड़े काम की उम्मीद नहीं की जा सकती।
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