डॉ. मोहनराव मधुकर भागवत
कश्मीर की समस्या सारे भारत की समस्या है। इसका समाधान जिसको करना चाहिए वे किसी भी कारण इस कार्य में यदि यशस्वी नहीं हो रहे, तो ऐसा प्रतीत होता है कि इसके पीछे या तो उनके इरादे ही गलत हैं या फिर व इस समस्या को हल करना ही नहीं चाहते। बात स्पष्ट है कि इसके समाधान के लिए प्रजातंत्र की वास्तविक सत्ता यानी जनता को जागृत करना पड़ेगा। सारा भारत आंदोलन के रूप में कब और कैसे खड़ा होगा, यह तय करने व सोचने की बात है। लेकिन अन्ततः यही करना पड़ेगा।
संघ के स्वयंसेवक देश भर में कश्मीर विषय को लेकर प्रत्येक घरों में सम्पर्क कर रहे हैं। इस सम्पर्क में कश्मीर के संदर्भ में वर्तमान की स्थिति क्या है, क्या होना चाहिए और क्या नहीं होना चाहिए, आदि बिंदुओं को लेकर सम्पर्क किया जा रहा है। क्योंकि सबसे पहली बात यह है कि कश्मीर के खिलाफ जो षड्यंत्र चल रहे हैं, उन षड्यंत्रों से आमजन को विदित कराना आवश्यक है। भारत के आम आदमी को कश्मीर की वास्तविक स्थिति को समझना पड़ेगा। संघ ने इसके लिए सतत कार्य किया है और आगे भी करता रहेगा। इसके समाधान का रास्ता किन जंजालों से हमें निकालना पड़ेगा, इसके बारे में विचार करने की आवश्यकता है।
अब भारत का कोई भी व्यक्ति कश्मीर का देश से कटना बर्दाश्त नहीं करेगा। परिस्थितियां बहुत कठिन हैं। षड्यंत्र चारों ओर से चल रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय शक्तियां के साथ ही ‘राष्ट्रीय’ व राष्ट्रविरोधी शक्तियां भी इस कार्य़ में लगी हुई हैं। दुर्भाग्य यह कहा जाए कि अपनी सत्ता भी इसी षड्यंत्र में लगी है कि जैसे-तैसे शांति हो जाए, शांति यानी देश की शांति नहीं बल्कि हमारे दिमाग को शांति मिल जाए। अगले चुनाव के लिए वोट का इंतजाम हो जाए। समझौते के कारण ही समस्या बिगड़ी है। हम सबको इसके खिलाफ लड़ना है। गलती में एक विभाजन हो गया, तो इसका एकमेव कारण है यही है कि उस समय हम लोग ताकतवर नहीं थे। जिनके पास ताकत थी उन्होंने जनता को इसके लिए कहा नहीं कि इन षड्यंत्रों का विरोध करो। जो भी उसके गुण-दोष हैं, समीक्षा है, उसको करने वाले करें, जैसा सोचना है हम सोचें, लेकिन हमको फिर से भारत को टूटते नहीं देखना है, यह बात पक्की है। इसी बात को लेकर हम आगे बढ़ेंगे।
एक बात है कि संघ सेकुलर न बने। ये तो हो ही नहीं सकता। अगर मैं भी संघ को सेकुलर बनाना चाहूं, तो नहीं सकता। जो संघ के स्वयंसेवक हैं वो इस बात को अच्छी तरह जानते हैं। जो संघ में गए नहीं उनको शायद ये बात न समझ में आए। डॉ. हेडगेवार ने जो बताया वैसे ही संघ चलेगा, इस संदर्भ में वे इतनी पक्की दिशा देकर चले गए हैं। इसलिए संघ का रुख मोड़ना संघ के सरसंघचालक या किसी भी अखिल भारतीय अधिकारी के बस की बात नहीं है। संघ जिस ध्येय को लेकर चला है वही करने वाला है।
राष्ट्रवादी मुस्लिम वगैरह का जो काम चलता है, वह मुसलमानों के द्वारा मुसलमानों के लिए चलाया गया कार्य़ है। लेकिन वे लोग जैसा कहते हैं, वैसा हुआ तो सबका लाभ होगा। इस बात को ध्यान में रखते हुए दो-तीन कार्यकर्ताओं को इसके लिए कहा है कि उनकी चिंता करें। राष्ट्रवादी मुस्लिम मंच से संघ का संबंध नहीं है। संघ का सिस्टर आर्गनाइजेशन भी कोई नहीं है। संघ की केवल शाखा है। संघ के केवल स्वयंसेवक हैं। संघ के स्वयंसेवक राजनीतिक दल सहित अनेक संगठन चलाते हैं। लेकिन वहां केवल स्वयंसेवक ही नहीं हैं और भी लोग कार्य करते हैं। उनको स्वयं को चलाने की जिम्मेदारी खुद वहन करनी होती है। हां, यदि उनको अच्छा चलने में सहायता चाहिए, तो हम देते हैं। जो बातें वास्तविक हैं वहीं मैं बता रहा हूं। यह कोई डिप्लोमेटिक उत्तर नहीं है।
कश्मीर को लेकर जिन लोगों ने गलतियां की, उसको हम सुधार लेंगे। लेकिन यह बात पक्की है कि इसके समाधान के लिए हमें जो करना है, बिना गलती से करना है। और बिना गलती के करने के लिए कुछ बातें ध्यान में रखनी है। ये बातें ध्यान में न रखने के कारण ही ये प्रसंग आया है।
स्वतंत्रता के इतने वर्षों पश्चात भी हमको यहां बैठकर कश्मीर का विचार करना पड़ता है। पहली बात है कि भारत एकात्म अखंड है, हिंदू राष्ट्र है, इसमें कोई समझौता नहीं, क्योंकि यह सत्य है। इससे समझौता करने वाले आगे ठोकरें खाएंगे और सबके लिए संकट आएगा। अन्यान्य शब्दों में दुनिया के सभी लोग ऐसा मानते हैं, कुछ लोग अपनी इच्छा से मानते हैं और कुछ लोग गफलत में कभी-कभी मान लेते हैं। यह सत्य है, तो सत्य से विमुख होना किसी के लिए फायदे की बात नहीं है।
आज अपना जितना बस चलता है उतना बोलना चाहिए। स्वतंत्रता के बाद जो भारत बना, कश्मीर का जो एक्सेशन और मर्जर हुआ, वह एक तथ्य है। पूरे कश्मीर को भारत में लाने के लिए के संदर्भ में संसद ने जो प्रस्ताव पारित किया है वह ठीक है। वहां बसने वाले सात लाख तथाकथित पाकिस्तान से आए हिंदू इस नए भारत के नागरिक बनकर पूर्ण सत्ता के साथ मिलकर कैसे रहें और जो चार लाख कश्मीरी विस्थापित हिंदू जो अपने जन्मभूमि से बिछड़े हैं, वो फिर से वहां अपनी सुरक्षा और आत्मसम्मान के साथ कैसे रह सकें, इसी दिशा में सारी बातें करनी चाहिए।
कश्मीर के संबंध में जो कुछ भी बोलना या करना हो उसका लक्ष्य वही होना चाहिए। यदि रणनीति के नाम पर कुछ करना भी है तो यह भी तय करना चाहिए कि इधर-उधर जाकर वापस हम उसी रास्ते पर आएंगे। ऐसी कोई भी रणनीति जो हमें अलग मुकाम पर पहुंचाती है, हमें पसंद नहीं है। कश्मीर की ऑटोनामी आजादी के बाद भी हमको सिरे से खारिज करना है। वहां जो भारत भक्त हैं उनकी शक्ति बढ़े, इसके लिए हमें प्रयास करना चाहिए। अलगाववादी कितना भी दावा करें लेकिन इस पर ध्यान न देते हुए हमको बात करनी है जम्मू और लद्दाख की, कश्मीरी विस्थापितों की, सात लाख पाकिस्तान से आए हिंदुओं की, कश्मीर घाटी में 33 हजार सिख भी हैं; उनकी। वहां और भी लोग हैं जो भारत परस्त हैं। यह सरकार इनके हित में कदम नहीं उठा रही है, सोच समझ कर उल्टा कर रही है।
आप और हम जो बातें जानते हैं वो सर्व-समर्थ सत्ता के लोग नहीं जानते यह तो हो ही नहीं सकता। इन सभी समस्याओं का एक ही हल है कि भारत की जनता का पूर्ण दबाव इस मुद्दे पर खड़ा हो, तो ये बातें बदलेंगी।
दूसरी बात है कि कश्मीर समस्या का हल भारत के हित में करना है। अब तो अंतरराष्ट्रीय शक्तियां भी खुल कर आ गई हैं। पहले भी थे, लेकिन अब खुलकर सामने आ गए हैं। अन्य जगहों से उनके पैर उखड़ गए, हो सकता है कि इनमें से किसी के साथ अपने संबंध दोस्ती के हों, कोई पड़ोसी मुंह से दोस्ती करता है चीन जैसा और अंदर ही अंदर पीठ में छूरा भोंकता है। अमेरिका जैसे भी दोस्त हैं, लेकिन इन दोस्तों के लिए हमको ठीक नहीं करना है, इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए।
जैसे अमेरिका या चीन अपने मामलों में किसी अन्य देश को सहन नहीं करते, वैसा ही हमको भी करना चाहिए। अब हमारी ताकत भी कम नहीं है। जितनी हमको इन लोगों की जरूरत है उससे ज्यादा इन लोगों को हमारी जरूरत है। आज वार्ताकार जो कर रहे हैं, सत्ताधारी पार्टियों के लोग समझते नहीं हैं, ऐसा नहीं कहा जा सकता।
एक बात हम लोगों को करनी चाहिए, दिल्ली में हम लोग रहते हैं योजना बनाकर अच्छी तरह से कर सकते हैं। जितने सांसद हैं उन सबके सामने यहां की जानकारी के आधार पर कश्मीर की वास्तविक स्थिति को रखा जाए, पार्टी की न सोचें, हमारे विरोध में चलने वाली पार्टी भी हो सकती है, लेकिन व्यक्ति को सोचें। विरोधी पार्टियों के सांसदों से भी हम मिलें। कम से कम इतना तो होगा कि देश विरोधी काम करने में उनकी जो ताकत लगती है वो कम हो जाएगी।
तीसरी बात यह है कि जनजागरण के ज्यादा और अच्छे कार्यक्रम हों। इसके लिए हम सबको प्रयास करना पड़ेगा। अभी जनसम्पर्क अभियान में हमने संघ के खिलाफ कथित दुष्प्रचार मामले के साथ ही राममंदिर निर्माण और कश्मीर के मुद्दे को भी शामिल किया था। यदि ऐसा हम सफलतापूर्वक कर ले गए तो कश्मीर के खिलाफ बोलने वाला या कश्मीर को देने की बात करने वाला कम से कम 50 वर्षों तक जनता के मन से उतर जाएगा।
भारतीय जनता इस बात पर एकमत है कि कश्मीर जाएगा नहीं, जितना गया उतना ही गया। जन दबाव बनेगा तो विरोधियों की गति भी धीमी पड़ जाएगी। जनजागरण के लिए चार या पांच पृष्ठों की छोटी पुस्तिकाओं के माध्यम से जिसमें कश्मीर मामले का वास्तविक विवरण हो, को लेकर हमको सम्पर्क करना चाहिए। इसके लिए किसी से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है। यह चरण प्रारम्भ कर दें, बाकी हम सोचते हैं। सोचते माने सोचेंगे नहीं, बल्कि एकदम सोचेंगे ही। इसके लिए हमको करना है, यह बात पक्की है। मैं विश्वास दिलाता हूं कि यदि हम लोग पूरे मन से इस दिशा में लगे तो यह समस्या अगले दस वर्षों में समाप्त हो जाएगी।
(प्रस्तुत आलेख राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहनराव मधुकर भागवत द्वारा “जम्मू-कश्मीर : वर्तमान परिदृश्य” विषयक परिचर्चा में दिए गए उद्बोधन का संपादित अंश है। परिचर्चा का आयोजन ‘जम्मू-कश्मीर पीपल्स फोरम’ के तत्वावधान में 27 फरवरी 2011 को दिल्ली स्थित दीनदयाल शोध संस्थान में किया गया था।)
गुरुवार, मार्च 03, 2011
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
फ़ॉलोअर
लोकप्रिय पोस्ट
-
पवन कुमार अरविंद रूस की अदालत ने भगवद्गीता के रूसी भाषा में अनूदित संस्करण 'भगवत् गीता एस इट इज' पर रोक लगाने और इसके वितरण को अवैध ...
-
चम्पत राय ''अयोध्या'' यह नाम पावनपुरी के रूप में विख्यात नगर का नाम है। अयोध्या का इतिहास भारतीय संस्कृति का इतिहास है। इसक...
-
देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु के नाम का स्मरण करते ही कश्मीर समस्या की याद स्वाभाविक रूप से आ जाती है. पाक-अधिकृत कश्मीर क...
-
अशोक सिंहल पवन कुमार अरविंद 20वीं सदी के उत्तरार्द्ध और 21वीं सदी के पूर्वार्द्ध में इस धरती पर हिंदुओं के सबसे बड़े नेता और विहिप क...
-
एक तरफ जहां पर्यावरण प्रदूषण बढ़ रहा है, वहीं दूसरी तरफ प्रदूषण को कम करने में सक्षम वृक्षों की धुआँधार कटाई भी जारी है। एक सूचना के मुताबिक...
-
पवन कुमार अरविंद जम्मू-कश्मीर की पीडीपी-भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने एक मार्च को शपथ लेने के तत्काल बाद जैसा देश...
-
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के पथ पर चलते हुए भारतीय राजनीति को एक नइ दिशा देनेवाले लाल कृष्ण आडवानी आज (८ नवम्बर) को ८१ वर्ष के हो गए. आडवानी एक ...
-
पाकिस्तान में कट्टरवाद के समर्थक भारत में आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के लिए नए-नए तरीके खोजते रहते हैं। इस बार इन कट्टरवादियों ने घुसपैठ के...
-
प्रो. बाल आप्टे शाब्दिक तौर पर राष्ट्रवाद एक आधुनिक ‘पद’ है। ऐसा माना जाता है कि आधुनिक राष्ट्र-राज्य की अवधारणा फ्रांस की क्रांति (1789) के...
यह ब्लॉग खोजें
Blog Archives
-
►
2020
(2)
- ► 05/03 - 05/10 (1)
- ► 03/08 - 03/15 (1)
-
►
2019
(3)
- ► 11/10 - 11/17 (1)
- ► 08/18 - 08/25 (1)
- ► 08/11 - 08/18 (1)
-
►
2017
(1)
- ► 04/02 - 04/09 (1)
-
►
2016
(2)
- ► 10/23 - 10/30 (1)
- ► 01/31 - 02/07 (1)
-
►
2015
(4)
- ► 11/15 - 11/22 (1)
- ► 04/12 - 04/19 (1)
- ► 03/01 - 03/08 (1)
- ► 02/15 - 02/22 (1)
-
►
2014
(1)
- ► 10/12 - 10/19 (1)
-
►
2013
(1)
- ► 05/05 - 05/12 (1)
-
►
2012
(10)
- ► 11/11 - 11/18 (1)
- ► 11/04 - 11/11 (1)
- ► 10/28 - 11/04 (1)
- ► 10/21 - 10/28 (1)
- ► 08/05 - 08/12 (1)
- ► 07/08 - 07/15 (1)
- ► 04/08 - 04/15 (1)
- ► 01/15 - 01/22 (1)
- ► 01/08 - 01/15 (1)
- ► 01/01 - 01/08 (1)
-
▼
2011
(32)
- ► 12/25 - 01/01 (1)
- ► 12/11 - 12/18 (2)
- ► 11/13 - 11/20 (1)
- ► 10/09 - 10/16 (3)
- ► 09/11 - 09/18 (1)
- ► 08/28 - 09/04 (2)
- ► 08/21 - 08/28 (1)
- ► 08/14 - 08/21 (1)
- ► 08/07 - 08/14 (1)
- ► 07/24 - 07/31 (1)
- ► 06/26 - 07/03 (2)
- ► 05/15 - 05/22 (3)
- ► 05/08 - 05/15 (2)
- ► 04/24 - 05/01 (1)
- ► 04/17 - 04/24 (1)
- ► 04/03 - 04/10 (3)
- ► 03/13 - 03/20 (1)
- ► 02/20 - 02/27 (1)
- ► 02/13 - 02/20 (1)
- ► 01/23 - 01/30 (1)
- ► 01/02 - 01/09 (1)
-
►
2010
(55)
- ► 12/26 - 01/02 (1)
- ► 12/19 - 12/26 (1)
- ► 12/12 - 12/19 (1)
- ► 11/28 - 12/05 (2)
- ► 11/14 - 11/21 (1)
- ► 10/24 - 10/31 (2)
- ► 10/03 - 10/10 (3)
- ► 09/19 - 09/26 (2)
- ► 09/12 - 09/19 (1)
- ► 09/05 - 09/12 (1)
- ► 08/29 - 09/05 (1)
- ► 08/08 - 08/15 (2)
- ► 08/01 - 08/08 (2)
- ► 07/25 - 08/01 (2)
- ► 07/18 - 07/25 (2)
- ► 06/27 - 07/04 (1)
- ► 06/20 - 06/27 (1)
- ► 06/13 - 06/20 (1)
- ► 06/06 - 06/13 (2)
- ► 05/23 - 05/30 (2)
- ► 05/09 - 05/16 (3)
- ► 05/02 - 05/09 (2)
- ► 04/25 - 05/02 (1)
- ► 04/11 - 04/18 (1)
- ► 04/04 - 04/11 (2)
- ► 03/28 - 04/04 (1)
- ► 03/14 - 03/21 (1)
- ► 03/07 - 03/14 (4)
- ► 02/21 - 02/28 (2)
- ► 01/31 - 02/07 (2)
- ► 01/17 - 01/24 (1)
- ► 01/10 - 01/17 (4)
-
►
2009
(5)
- ► 08/09 - 08/16 (1)
- ► 08/02 - 08/09 (1)
- ► 04/05 - 04/12 (1)
- ► 01/25 - 02/01 (1)
- ► 01/11 - 01/18 (1)
-
►
2008
(10)
- ► 12/21 - 12/28 (1)
- ► 11/23 - 11/30 (2)
- ► 11/09 - 11/16 (1)
- ► 11/02 - 11/09 (2)
- ► 10/19 - 10/26 (3)
- ► 08/24 - 08/31 (1)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें