लोकपाल के शीघ्र निर्माण को लेकर अन्ना हजारे सहित सभी सत्पुरुष समाज की बेचैनी स्वाभाविक ही है। लेकिन जो लोकपाल इन भ्रष्ट नेताओं के कारण पिछले 43 वर्षों से कानून का रूप नहीं ले सका है, क्या वह उनकी जिद से मात्र एक या दो सप्ताह में ही कानून का रूप ले सकता है? भ्रष्टाचारमुक्त भारत का निर्माण सभी सत्पुरुष समाज की इच्छा है, लेकिन इसको लेकर चलाये जा रहे आंदोलन के नेतृत्वकर्ताओं को थोड़ा धैर्य रखना चाहिए। धैर्य खो देने से स्थितियां बनती नहीं बल्कि और बिगड़ जाती हैं। सरकार को बार-बार अनशन करने की धमकी देकर अपने को महत्वहीन नहीं करना चाहिए। लोकतंत्र में अनशन एक हथियार जरूर है लेकिन विधेयक निर्माण की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में लगने वाले समय के संदर्भ में अनशन रूपी यह हथियार क्या कर सकेगा ? लोकपाल का इंतजार करते-करते जैसे 43 वर्ष बीत गये वैसे ही केवल एक या दो महीने और रुक जाने में कौन सा पहाड़ टूट पड़ेगा ?
अन्ना ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर अनशन करके केंद्र सरकार को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था। इस चार दिवसीय अनशन ने उनको और देश को बहुत कुछ दिया है। उन्होंने मात्र इतने दिन में ही अपने लिए वह दर्जा हासिल कर लिया है जो लोग जीवन भर संघर्ष करके भी नहीं पाते। फिर भी अन्ना को किसी भ्रम में नहीं रहना चाहिए। उनको यह सोचना चाहिए कि अनशन की एक सीमा व मर्यादा है और देशवासियों की मर्यादित इच्छा ही लोकतंत्र है।
अन्ना जैसे लोगों को देश के लिए मरने से बेहतर विकल्प जीवित रहकर देश की सेवा करना है। क्योंकि ऐसे लोग बिरले ही होते हैं। अनशन की जिद में अपना प्राणोत्सर्ग कर देना कहीं की बुद्धिमानी नहीं कही जायेगी। यह चर्चा इसलिए आवश्यक प्रतीत हो रही है क्योंकि अन्ना ने 16 अगस्त से पुन: अनशन करने की घोषणा की है। लेकिन लोकपाल पर सरकार के रूख को देखते हुए अन्ना को यह समझना चाहिए कि इस बार केंद्र सरकार के कर्ता-धर्ता; उनको पहले अनशन जैसा महत्व नहीं देंगे। सरकार का इस प्रकार का संभावित रुख; लोकपाल विधेयक मसौदा समिति के सरकारी सदस्य तथा केंद्रीय जल संसाधन विकास मंत्री सलमान खर्शीद के जमशेदपुर में सोमवार को दिये उस बयान से भी स्पष्ट हो जाता है, जिसमें उन्होंने कहा था- “अन्ना हजारे अगर 16 अगस्त से अनशन करते हैं तो यह सर्वोच्च लोकतांत्रिक संस्था (संसद) का विरोध होगा। और इसके बाद उनका क्या हश्र होगा, यह नहीं कहा जा सकता।”
कहीं ऐसा न हो कि अपने दूसरे अनशन के दौरान अन्ना की हालत ज्यादा बिगड़ जाये और सरकार की नाक पर जूँ तक न रेंगे। ऐसी स्थिति में अन्ना को अपना अनशन तोड़ने के लिए कहीं बीच का रास्ता न अख्तियार करना पड़ जाये। यदि ऐसा होगा तो अन्ना अपनी जिद के कारण कालेधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ इस अभियान को ही चोट पहुंचायेंगे। जैसे योग गुरू स्वामी रामदेव रामलीला मैदान में दिल्ली पुलिस के दमनात्मक कार्रवाई को देखकर महिलाओं की लिबास पहनकर अपनी जान बचाने के लिए भाग खड़े हुए थे। नेतृत्वकर्ताओं का ऐसा आचरण किसी भी आंदोलन की धार को कमजोर करता है, साथ ही उनके प्रति जनता के विश्वास को भी कम करता है। जो लोग नेतृत्वकर्ता हैं उनको अपनी जान की परवाह किये बगैर अपने पीछे खड़ी जनता और आंदोलन की दीर्घकालिक रणनीति; पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
वैसे आजादी के बाद से अनशन करते कई लोगों की मौत हो चुकी है। सरकार में शामिल कुछ लोग चाहेंगे कि अनशन करते अन्ना अपनी मौत मर जायें, साथ ही यह आंदोलन भी अधमरा हो जाये ! उनका मरना कतई देशहित में नहीं कहा जा सकता। बार-बार अनशन की धमकी देने से बेहतर लोकतांत्रिक विकल्प नगर, ग्राम, डगर-डगर जाकर जनता को जागृत करना हो सकता है। उनके इस कदम से सरकार ज्यादा भयभीत होगी।
कुछ लोग यह भी कहते हैं कि देश की 121 करोड़ की आबादी में से मात्र पांच सदस्यों वाली कथित सिविल सोसायटी के सदस्य देश की किस संस्था का प्रतिनिधित्व करते हैं? उनका देश की जनता के प्रति उत्तरदायित्व क्या है? हालांकि जब कोई व्यक्ति देश और समाज के हित में श्रेष्ठ उद्देश्यों को लेकर संघर्ष करता है तो समाज के ही लोग कई प्रकार की बातें करने लगते हैं, लेकिन ध्येय-पथ के अनुगामी को इन सब बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। इस प्रकार की बातों में कोई दम नहीं होता है।
माना कि अन्ना और उनके द्वारा उठाये गये कालेधन व भ्रष्टाचार के मुद्दों में दम है लेकिन इसका अर्थ यह नहीं होता कि आप संसदीय परम्पराओं की इज्जत मत करिये। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अपने जीवन काल में अंग्रेजों के विरुद्ध सैकड़ों आंदोलन चलाये और जेल की यातनायें सहीं, लेकिन उन्होंने इस संदर्भ में हर प्रकार की मर्यादा का ध्यान रखा, जबकि वह भलीभांति जानते थे कि अंग्रेज हर तरह से अमर्यादित आचरण कर रहे हैं। इस संदर्भ में महात्मा गांधी के अनुयायी अन्ना; गांधी से क्यों नहीं सीखते हैं ? यदि गांधी से प्रेरणा लें तो कालेधन और भ्रष्टाचार के उन्मूलन के लिए चलाये जा रहे इस अभियान को और बल ही मिलेगा, जो इस भ्रष्टाचारी व अत्याचारी केंद्र सरकार को घुटने टेकने पर मजबूर कर देगा।
सोमवार, जून 27, 2011
अनशन की लोकतांत्रिक मर्यादा
पवन कुमार अरविंद
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
फ़ॉलोअर
लोकप्रिय पोस्ट
-
पवन कुमार अरविंद रूस की अदालत ने भगवद्गीता के रूसी भाषा में अनूदित संस्करण 'भगवत् गीता एस इट इज' पर रोक लगाने और इसके वितरण को अवैध ...
-
चम्पत राय ''अयोध्या'' यह नाम पावनपुरी के रूप में विख्यात नगर का नाम है। अयोध्या का इतिहास भारतीय संस्कृति का इतिहास है। इसक...
-
देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु के नाम का स्मरण करते ही कश्मीर समस्या की याद स्वाभाविक रूप से आ जाती है. पाक-अधिकृत कश्मीर क...
-
अशोक सिंहल पवन कुमार अरविंद 20वीं सदी के उत्तरार्द्ध और 21वीं सदी के पूर्वार्द्ध में इस धरती पर हिंदुओं के सबसे बड़े नेता और विहिप क...
-
एक तरफ जहां पर्यावरण प्रदूषण बढ़ रहा है, वहीं दूसरी तरफ प्रदूषण को कम करने में सक्षम वृक्षों की धुआँधार कटाई भी जारी है। एक सूचना के मुताबिक...
-
पवन कुमार अरविंद जम्मू-कश्मीर की पीडीपी-भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने एक मार्च को शपथ लेने के तत्काल बाद जैसा देश...
-
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के पथ पर चलते हुए भारतीय राजनीति को एक नइ दिशा देनेवाले लाल कृष्ण आडवानी आज (८ नवम्बर) को ८१ वर्ष के हो गए. आडवानी एक ...
-
पाकिस्तान में कट्टरवाद के समर्थक भारत में आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के लिए नए-नए तरीके खोजते रहते हैं। इस बार इन कट्टरवादियों ने घुसपैठ के...
-
प्रो. बाल आप्टे शाब्दिक तौर पर राष्ट्रवाद एक आधुनिक ‘पद’ है। ऐसा माना जाता है कि आधुनिक राष्ट्र-राज्य की अवधारणा फ्रांस की क्रांति (1789) के...
यह ब्लॉग खोजें
Blog Archives
-
►
2020
(2)
- ► 05/03 - 05/10 (1)
- ► 03/08 - 03/15 (1)
-
►
2019
(3)
- ► 11/10 - 11/17 (1)
- ► 08/18 - 08/25 (1)
- ► 08/11 - 08/18 (1)
-
►
2017
(1)
- ► 04/02 - 04/09 (1)
-
►
2016
(2)
- ► 10/23 - 10/30 (1)
- ► 01/31 - 02/07 (1)
-
►
2015
(4)
- ► 11/15 - 11/22 (1)
- ► 04/12 - 04/19 (1)
- ► 03/01 - 03/08 (1)
- ► 02/15 - 02/22 (1)
-
►
2014
(1)
- ► 10/12 - 10/19 (1)
-
►
2013
(1)
- ► 05/05 - 05/12 (1)
-
►
2012
(10)
- ► 11/11 - 11/18 (1)
- ► 11/04 - 11/11 (1)
- ► 10/28 - 11/04 (1)
- ► 10/21 - 10/28 (1)
- ► 08/05 - 08/12 (1)
- ► 07/08 - 07/15 (1)
- ► 04/08 - 04/15 (1)
- ► 01/15 - 01/22 (1)
- ► 01/08 - 01/15 (1)
- ► 01/01 - 01/08 (1)
-
▼
2011
(32)
- ► 12/25 - 01/01 (1)
- ► 12/11 - 12/18 (2)
- ► 11/13 - 11/20 (1)
- ► 10/09 - 10/16 (3)
- ► 09/11 - 09/18 (1)
- ► 08/28 - 09/04 (2)
- ► 08/21 - 08/28 (1)
- ► 08/14 - 08/21 (1)
- ► 08/07 - 08/14 (1)
- ► 07/24 - 07/31 (1)
- ► 05/15 - 05/22 (3)
- ► 05/08 - 05/15 (2)
- ► 04/24 - 05/01 (1)
- ► 04/17 - 04/24 (1)
- ► 04/03 - 04/10 (3)
- ► 03/13 - 03/20 (1)
- ► 02/27 - 03/06 (1)
- ► 02/20 - 02/27 (1)
- ► 02/13 - 02/20 (1)
- ► 01/23 - 01/30 (1)
- ► 01/02 - 01/09 (1)
-
►
2010
(55)
- ► 12/26 - 01/02 (1)
- ► 12/19 - 12/26 (1)
- ► 12/12 - 12/19 (1)
- ► 11/28 - 12/05 (2)
- ► 11/14 - 11/21 (1)
- ► 10/24 - 10/31 (2)
- ► 10/03 - 10/10 (3)
- ► 09/19 - 09/26 (2)
- ► 09/12 - 09/19 (1)
- ► 09/05 - 09/12 (1)
- ► 08/29 - 09/05 (1)
- ► 08/08 - 08/15 (2)
- ► 08/01 - 08/08 (2)
- ► 07/25 - 08/01 (2)
- ► 07/18 - 07/25 (2)
- ► 06/27 - 07/04 (1)
- ► 06/20 - 06/27 (1)
- ► 06/13 - 06/20 (1)
- ► 06/06 - 06/13 (2)
- ► 05/23 - 05/30 (2)
- ► 05/09 - 05/16 (3)
- ► 05/02 - 05/09 (2)
- ► 04/25 - 05/02 (1)
- ► 04/11 - 04/18 (1)
- ► 04/04 - 04/11 (2)
- ► 03/28 - 04/04 (1)
- ► 03/14 - 03/21 (1)
- ► 03/07 - 03/14 (4)
- ► 02/21 - 02/28 (2)
- ► 01/31 - 02/07 (2)
- ► 01/17 - 01/24 (1)
- ► 01/10 - 01/17 (4)
-
►
2009
(5)
- ► 08/09 - 08/16 (1)
- ► 08/02 - 08/09 (1)
- ► 04/05 - 04/12 (1)
- ► 01/25 - 02/01 (1)
- ► 01/11 - 01/18 (1)
-
►
2008
(10)
- ► 12/21 - 12/28 (1)
- ► 11/23 - 11/30 (2)
- ► 11/09 - 11/16 (1)
- ► 11/02 - 11/09 (2)
- ► 10/19 - 10/26 (3)
- ► 08/24 - 08/31 (1)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें