जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने 28 अगस्त को पत्थरबाजों को ईद का तोहफा देते हुए उनकी माफी का ऐलान तो कर दिया, लेकिन श्रीनगर की ऐतिहासिक जामिया मस्जिद से सटे नौहट्टा पुलिस थाने पर कश्मीर की आजादी के पक्ष में नारेबाजी करते हुए 300 से ज्यादा मोटरसाइकिल सवार पत्थरबाज युवकों ने 27 अगस्त को जिस तरह पेट्रोल बम से हमला कर छह पुलिसकर्मियों को घायल किया; वह दुर्भाग्यपूर्ण है। कश्मीर की आजादी के पक्ष में लगाये गये नारों से ही स्पष्ट हो जाता है कि यह सब अलगाववादियों के इशारे पर किया जा रहा है। ऐसी स्थिति में सरकार को पत्थरबाजों को ईद पर रिहा करने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए।
यदि 12 सौ के करीब पत्थरबाजों को रिहा कर भी दिया जाता है, तो इसकी क्या गारंटी है कि वह दोबारा अलगाववादियों के बहकावे में आकर कश्मीर की शांति में रोड़ा नहीं बनेंगे। पुलिस स्टेशन या सुरक्षाबलों पर पत्थर से हमले की घटनाएं बीते एक सप्ताह के दौरान कई बार हुई हैं। घाटी के खराब हो रहे हालात के मद्देनजर सरकार को चाहिए कि वह हिरासत में लिए गए पत्थरबाजों को न छोड़े।
विदित हो कि पिछले साल गर्मी के मौसम में इन्हीं पत्थरबाजों के कारण घाटी अशांत रही। इस दौरान करीब 1300 युवकों के खिलाफ पत्थरबाजी, आगजनी और लूटमार के मामले दर्ज किए गए थे। इसमें से कई अब भी फरार हैं। उमर सरकार के नये फरमान के अनुसार, इन युवकों को माफी देते हुए इनके खिलाफ सभी आपराधिक मामले वापस ले लिए जाएंगे। बकौल उमर अब्दुल्ला, यह माफी उन पत्थरबाजों के लिए नहीं है, जो आगजनी और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने व लूटमार करने में शामिल रहे हैं। ऐसे में करीब 100 युवक माफी से वंचित रहेंगे।
इस सदंर्भ में सरकार को कश्मीरी जनता के हित में भी सोचना चाहिए, क्योंकि वह लगातार घाटी बंद और पत्थरबाजों की गतिविधियों से तंग आ चुकी है। वे इस बात से भली भांति परिचित हैं कि उनकी रोजी-रोटी पर्यटन उद्योग पर टिकी हुई है। घाटी में अगर हालात बिगड़ते हैं तो पर्यटकों की संख्या पर इसका विपरीत असर पड़ेगा। श्री अमरनाथ यात्रा के शांतिपूर्ण ढंग से बीत जाने पर लोगों को लग रहा था कि हालात सामान्य हैं, लेकिन अलगाववादी नेता स्थानीय युवाओं को भड़का कर अपने मंसूबों को हवा देने से बाज नहीं आ रहे हैं। ऐसे में अब्दुल्ला सरकार को पत्थरबाजों के साथ सख्ती से पेश आना चाहिए, नहीं तो सरकार का ऐसा रवैया उनको अलगाववादी गतिविधियों के लिए और प्रोत्साहित ही करेगा।
मंगलवार, अगस्त 30, 2011
अलगाववाद को बढ़ाने वाला कदम
पवन कुमार अरविंद
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1 टिप्पणी:
पवन भाई आपका तर्क बिल्कुल सटीक है.....उमर अब्गुल्ला को अपने फैसले पर विचार करना चाहिए...अगर ऐसे ही माफी बांटने की प्रक्रिया शुरू हो गई तो दहशतगर्दों का उत्साह बढ़ेगा...जम्मू-कश्मीर जैसे जगह पर मर्सी दिखाने पहले लाख बार सोंचने की जरूरत है
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