मंगलवार, अगस्त 23, 2011

आईएसआई के एजेंट भी हो सकते हैं कश्मीर लौटने वाले युवा

वर्ष 1989 के बाद हथियारों का प्रशिक्षण लेने के लिए जम्मू-कश्मीर के कुछ युवा पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) या पाकिस्तान चले गये थे। इस समय उनके वापस लौटने की चर्चाएं जोरों पर हैं। हालांकि केंद्र और राज्य सरकारों का कहना है कि इन युवाओं की वापसी और उनको मुख्य धारा में लाने के लिए गंभीरता से प्रयास करने की जरूरत है। लेकिन यहां प्रश्न यह उठता है कि क्या वापस लौटने वाले युवा भारत के ही हैं, या उनके भेस में कोई दूसरा आंतकी या आईएसआई का एजेंट तो नहीं घुस रहा है। यह सुनिश्चित करना अति आवश्यक है। क्योंकि जो युवा पीओके या पाकिस्तान गये थे, उनका भारत सरकार के पास कहीं कोई रिकॉर्ड नहीं है।

उल्लेखनीय है कि जम्मू-कश्मीर सरकार को आवास एवं पुनर्वास नीति के तहत कई आवेदन मिले हैं और सरकार ने इन युवाओं की वापसी के लिए 28 नामों की सूची भी बनायी है। इनके परिवार वालों ने राज्य सरकार से आग्रह किया था कि उनके संबंधी वापस कश्मीर लौटना चाहते हैं। इन परिवारों को परामर्श दिया गया है कि उनके संबंधी इस्लामाबाद स्थित भारतीय दूतावास से सम्पर्क कर सकते हैं। यहां उन्हें एक अस्थायी दस्तावेज दिया जायेगा। इसके माध्यम से वे बाघा या किसी और बिंदु से सीमा पार कर सकते हैं। उनको नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार अर्थात् भारत की तरफ लौटने के लिए यात्रा दस्तावेजों का लाभ दिया जा सकता है। इससे संबंधित कुछ प्रमुख बिंदुओं पर पवन कुमार अरविंद ने जम्मू-कश्मीर से जुड़े विद्वानों, वुद्धिजीवियों और पत्रकारों से दूरभाष पर बातचीत की है। प्रस्तुत है अंश-

जम्मू-कश्मीर मामलों के जानकार और वरिष्ठ पत्रकार श्री जवाहर लाल कौल का कहना है- “कश्मीर से जो लोग 1990 के दशक के बाद गये हैं, सबसे मुख्य बात है कि वे एक साथ नहीं गये। अलग-अलग गये हैं। ये पता करना बहुत ही कठिन है कि जो गये, वही लोग वापस आ रहे हैं। क्योंकि जो गये उनके संदर्भ में राज्य और केंद्र सरकारों के पास कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं है। यदि सही लोग वापस भी आ रहे हैं तो कैसे पता चलेगा कि उनका मन परिवर्तित हो गया है और वे अब आतंकवाद की तरफ कभी नहीं लौटेंगे। वे सामान्य जीवन जीना चाहते हैं। पिछले वर्षों में यह देखा गया है कि पाकिस्तान से वापस लौटने वाले कुछ युवक फिर से आतंकी गतिविधियों में लिप्त पाये गये। प्रबल संभावना इस बात की भी है कि वापस लौटने वालों की आड़ में पाकिस्तान और अलगाववादी तत्व अपने जासूस भी भेज सकते हैं। ऐसी स्थिति में सरकार क्या कर सकेगी? इसलिए इस मसले पर सोच समझकर निर्णय लिए जाने की आवश्यकता है।”

जम्मू विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. हरिओम का कहना है- “युवाओं की कश्मीर वापसी पाकिस्तान की एक चाल है। ये युवा यहां आकर कश्मीरी अलगाववादियों को मजबूती ही प्रदान करेंगे। यह देश के हित में नहीं है।”

जम्मू में पंजाब केसरी से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार श्री गोपाल सच्चर का कहना है- “यह एक बहुत लंबा और टेढ़ा विषय है। क्योंकि यह स्पष्ट नहीं है कि कितने लोग कश्मीर से पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) या आजाद कश्मीर गये हैं। वहां क्या करते हैं? क्यों वापस आना चाहते हैं? बड़ा प्रश्न यह है कि इन युवाओं को जिन लोगों या आतंकी समूहों ने आतंकवाद का प्रशिक्षण दिया, वे उन लोगों को पुन: कश्मीर लौटने देंगे। यदि लौटने देंगे तो किन शर्तों पर, इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? इसके साथ ही बहुत से युवा ऐसे भी हैं, जिन्होंने शादी कर ली है, उनके बच्चे भी हैं। उनके बच्चे कैसे आ सकते हैं यहां? यदि वे आते हैं तो कहां के नागरिक कहे जायेंगे? दूसरी बड़ी बात यह है कि लौटने वालों को सरकार नौकरी देने की बात कर रही है। जबकि राज्य में लाखों बेरोजगार युवा पहले से ही मौजूद हैं। बेरोजगार युवा सोचेंगे कि जो वापस आये उनको तो नौकरी मिल गयी लेकिन हम पढ़े-लिखे सीधे-साधे लोगों के प्रति सरकार गंभीर नहीं है। इससे तो इन बेरोजगार युवाओं को आतंकी रास्ता अख्तियार करने का प्रोत्साहन ही मिलेगा।”

जम्मू में हिंद उर्दू दैनिक के संवाददाता श्री नरेश ठाकुर ने कहा- “जो आतंकी शिविर चल रहे हैं, वो पाकिस्तान की धरती पर चल रहे हैं। ये शिविर भारत-पाकिस्तान सीमा के अत्यंत निकट हैं। लेकिन इस्लामाबाद इसको मानने को तैयार नहीं है। इन शिविरों के सीमा के अत्यंत निकट होने के कारण आतंकी गतिविधियों में वृद्धि होगी, क्योंकि जो लोग वापस आ रहे हैं उनका उन शिविरों से जान-पहचान होगा ही, इससे इन्कार नहीं किया जा सकता है।”

म्मू-कश्मीर विचार मंच, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के अध्यक्ष श्री अजय भारती का कहना है- “यह देश की अखण्डता के लिए खतरा तो है ही विशेषकर कश्मीर घाटी की भोली-भाली गरीब जनता के विरुद्ध किया जानेवाला निर्णय होगा। याद रखना चाहिए कि ये युवक जबरदश्ती पाकिस्तान नहीं गये बल्कि अपनी मर्जी से गये, बंदूक के आकर्षण व आतंकवाद के नशे में दूसरों पर अपना प्रभुत्व जमाने के उद्देश्य से हथियार और अलगाववाद का प्रशिक्षण लेने के लिए गये। आईएसआई जैसी बदनाम संस्था जब भारतीय दूतावास के अधिकारियों तथा पढ़े-लिखे भारतीयों का उपयोग भारत विरोधी गतिविधियों में कर सकती है तो समझना चाहिए कि ये नौजवान जो 20 साल से उनकी गोद में बैंठे हैं, उनका कैसे ‘ब्रेन वाश’ किया होगा। इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। अत: इस देश विरोधी कदम को कभी नहीं उठाना चाहिए।”

‘हिंदुस्थान समाचार’ न्यूज एजेंसी के जम्मू ब्यूरो प्रमुख श्री बलवान सिंह का कहना है- “इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि वापस लौटने वाले युवा पुन: सामान्य जीवन जीयेंगे। क्योंकि जो लोग पहले वापस आये उनमें से अधिकांश आतंकी गतिविधियों में लिप्त पाये गये। उनको यहां लाकर बसाना सुरक्षा की दृष्टि से उचित नहीं होगा।”

कोई टिप्पणी नहीं:

फ़ॉलोअर

लोकप्रिय पोस्ट

ब्‍लॉग की दुनिया

NARAD:Hindi Blog Aggregator blogvani चिट्ठाजगत Hindi Blogs. Com - हिन्दी चिट्ठों की जीवनधारा Submit

यह ब्लॉग खोजें

Blog Archives