शनिवार, जुलाई 14, 2012

वासांसि जीर्णानि यथा विहाय.....

दारा सिंह से मैं वर्ष 2008 में दिल्ली स्थित उनके सरकारी आवास पर मिला था। उस समय वह राज्यसभा के सदस्य थे। वह एक अद्भूत व्यक्ति थे। 12 जुलाई 2012 को प्रात: काल उनके निधन की खबर का मेसेज मेरे मोबाईल पर प्राप्त हुआ था, मैं कुछ देर तक आवाक् रह गया, और सहसा ही उनसे मुलाकात के लमहों में खो गया था। वह वास्तव में एक विलक्षण प्रतिभा के धनी थे। उनमें राष्ट्रीय भावना कूट-कूट कर भरी थी। उन्होंने मुछे उस दौरान बताया था कि रामायण सीरियल में हनुमान की भूमिका ने उनके जीवन में बहुत परिवर्तन लाया। उनका कहना था, “मुझे उस समय कठिनाई होती थी जब लोग मुझे वास्तविक जीवन में भी हनुमान मानकर मेरे पैर छूते थे। लेकिन मैं कर भी क्या कर सकता था, सिवाय उन्हें रोकने के, लेकिन फिर भी लोग नहीं मानते थे।” रामायण के कुछ दृश्यों की चर्चा पर वह ठहाका मारकर हंसने लगते थे। उनसे मुलाकात के आधा घंटे का वह समय बातों ही बातों में कैसे बीत गया था, पता ही नहीं चला। जब मैं उनसे विदा लेने लगा तो मैंने उनसे कहा था कि दादा मैं फिर आपसे मिलूंगा, तो उन्होंने कहा था कि मिलना भी क्या है तुम पवन हो और मैं ‘हनुमान’। तुम भी हर जगह, मैं भी हर जगह। बालीवुड की कई फिल्मों में किरदार अदा करने के बाद उनकी प्रसिद्धि उस समय और व्यापक हो गयी जब उन्होंने रामानंद सागर द्वारा निर्देशित टीवी धारावाहिक रामायण में हनुमान का किरदार निभाया। उसी दौर से वे भारतीय जनमानस पर छा गये थे और हम जैसे ग्रामीण परिवेश के लोगों का ध्यान भी अपनी ओर आकृष्ट करने में सफलता हासिल की थी। सचमुच वे अद्भुत थे। ...................... प्रभु उनकी आत्मा को शांति दें, यही विनती है।

कोई टिप्पणी नहीं:

फ़ॉलोअर

लोकप्रिय पोस्ट

ब्‍लॉग की दुनिया

NARAD:Hindi Blog Aggregator blogvani चिट्ठाजगत Hindi Blogs. Com - हिन्दी चिट्ठों की जीवनधारा Submit

यह ब्लॉग खोजें

Blog Archives