बुधवार, जनवरी 14, 2009

मीडिया : सेंसरशिप नही, मर्यादा आवश्यक

लोकतंत्र के चार स्तम्भ होते है- बिधायिका, कार्यपालिक, न्यायपालिका और पत्रकारिता.
स्वस्थ लोकतान्त्रिक मूल्यों के लिए, इन चरों खंभों की स्वतंत्रता उतना ही आवश्यक है,
जितना की किसी पशु के चारो पैरो की स्वतंत्रता.
जाहिर सी बात है कि यदि हम किसी पैर को बाँध देते है तो वह चल नही पायेगा.
यही सन्दर्भ लोकतंत्र का भी है.
हलाँकि, लोकतंत्र एक जीवमान ईकाई है,
फ़िर भी, लोकतंत्र का किसी पशु से तुलना करना ठीक नही है.
हाँ, मै इतना जरूर कहना चाहूँगा कि लोकतंत्र के इन चारो खंभों को "राष्ट्र-हित की मर्यादा" में रहकर ही आचरण करना चाहिए, स्वक्षन्द्ता ठीक नही.
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