
हालांकि, पाकिस्तानी सेना के भर्ती अभियान पर भारतीय सेना और खुफिया एजेंसियां भी चौकन्ना हो गई हैं। उनका मानना है कि इसका मकसद राजस्थान एवं पंजाब में हिंदू युवकों के माध्यम से जासूसी का बड़ा नेटवर्क कायम करना है।
ध्यातव्य है कि पाकिस्तानी सेना में पहले हिंदू युवकों को स्थान नहीं दिया जाता था लेकिन गत दिनों इस नीति में बदलाव हुआ है।
पिछले दिनों सिंध के 60 हिन्दू युवकों को सेना में भर्ती किया गया। इनमें कैप्टन सहित विभिन्न पदों पर 24 अधिकारी, 6 डॉक्टर और 30 सैनिक शामिल हैं।
हालांकि, पाकिस्तान में हिंदुओं के खिलाफ कट्टरवादियों का अभियान भी जारी है। इस कारण वहां के हिंदू परिवार पलायन कर भारत आ रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक, गत तीन वर्षों में लगभग 30 ऐसे परिवार जोधपुर में बस चुके हैं। ऐसे हालात में हिंदुओं को सेना में शामिल करना सेना और खुफिया एजेसियों को शंका में डाल रहा है।

सेना और खुफिया एजेंसियों का मानना है कि हिंदुओं को सेना में शामिल करने के पीछे पाकिस्तान का इरादा भारत में बसे उनके रिश्तेदारों के माध्यम से जासूसी का नेटवर्क कायम करना है।
उल्लेखनीय है कि पाकिस्तानी सेना की फील्ड इंटेलीजेंस विंग इससे पूर्व भी खुफिया एजेंसी आईएसआई एजेंटों के माध्यम से भारतीय सेना के ठिकानों की जासूसी करवाती रही है।
राजस्थान में वर्ष 2000 से 2006 के बीच आठ पाकिस्तानी और दस भारतीय जासूस पकड़े गए थे। उस समय यह खुलासा हुआ था कि आईएसआई राजस्थान के सीमावर्ती इलाके में बसे मुस्लिम युवकों का इस्तेमाल जासूसी नेटवर्क कायम करने के लिए कर रही है। इस खुलासे के बाद आईएसआई ने पाकिस्तान से हिंदू युवकों को जासूसी के लिए भेजना शुरू कर दिया।
वर्ष 2007 में कराची का ऐसा ही एक सिंधी युवक जासूसी के आरोप में पकड़ा गया था। वह पाकिस्तानी सेना की फील्ड इंटेलीजेंस विंग को भारतीय सेना से जुड़ी जानकारी भेज रहा था। उसके बाद से ही सीमा पार से हिंदू युवकों की घुसपैठ जारी है। पिछले तीन साल में जैसलमेर, बाड़मेर, गंगानगर व बीकानेर सीमा से करीब पन्द्रह हिंदू पाकिस्तानी युवक भारतीय सीमा में घुसते पकड़े गए।
पकड़े गए इन सभी युवकों ने गलती से या प्रताड़ित होने के कारण सीमा पार आने की मनगढ़ंत कहानी बताई। बहरहाल, खुफिया एजेसियां इस पर विश्वास नहीं कर पा रही हैं। एजेंसियों का मानना है कि पाकिस्तानी सेना अब हिंदू युवकों को जासूसी के लिए इस्तेमाल कर रही हैं।
1 टिप्पणी:
डर भी सच्चा ही हैं
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