शुक्रवार, अगस्त 13, 2010
गंगा रक्षा के हर आंदोलन को हमारा समर्थन : महंत ज्ञानदास
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और अयोध्या स्थित हनुमानगढ़ी के प्रमुख महंत ज्ञानदास ने गंगा की अविरलता और निर्मलता के प्रति एक बार फिर अपनी प्रतिबद्धता दुहराई है और कहा कि गंगा रक्षा के लिए चलाए जा रहे प्रत्येक आंदोलन को हमारा पूर्ण-रूपेण समर्थन है और रहेगा।
मैंने महंत ज्ञानदास से दूरभाष पर गंगा के संदर्भ में विस्तृत बातचीत की है। उन्होंने अयोध्या से मुझे बताया कि यह महत्व नहीं रखता कि गंगा रक्षा के लिए आंदोलन कौन चला रहा है। बल्कि इसके लिए यही महत्व का विषय है कि गंगा की रक्षा होनी चाहिए, चाहे यह आंदोलन कोई चलाए। हमारा पूर्ण-रूपेण समर्थन है।
अखाड़ा परिषद अध्यक्ष ने कहा- ‘हरिद्वार के मातृ सदन में गंगा रक्षा की मांग को लेकर पिछले 25 दिनों से आमरण अनशन पर बैठे प्रोफेसर गुरुदास अग्रवाल को हमारा पूर्ण-रूपेण समर्थन है। मैंने अखाड़ा परिषद की ओर से बाबा हठयोगी को अग्रवाल के पास उनका हालचाल जानने और परिषद का समर्थन व्यक्त करने के लिए भेजा था। उनके अनशन को हमारा पूरा समर्थन है।’
ज्ञातव्य है कि प्रख्यात वैज्ञानिक एवं पर्यावरणविद् प्रोफेसर अग्रवाल लोहारीनागपाला जलविद्युत परियोजना सहित गंगा पर निर्माणाधीन व प्रस्तावित सभी परियोजनाओं के निरसरन की मांग कर रहे हैं। उनके इस मांग का साधु-संतों सहित विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक संगठनों ने खुला समर्थन व्यक्त किया है।
महंत ज्ञानदास ने गंगा रक्षा मंच के संयोजक और योग गुरू स्वामी रामदेव द्वारा सोमवार को देहरादून-रुड़की राष्ट्रीय राजमार्ग जाम करने के संदर्भ में पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में केवल इतना ही कहा कि संत समाज गंगा के साथ हो रहे अन्याय के कारण सरकार के रवैये से नाराज है और वह अपनी नाराजगी का प्रकटीकरण भिन्न-भिन्न तरीकों से कर रहा है।
महंत ज्ञानदास ने कहा- ‘हम अविरल और निर्मल गंगा के मुद्दे पर किसी भी तरह का समझौता करने के पक्ष में नहीं हैं। हम केवल यही चाहते हैं कि सरकार इसके लिए पर्याप्त कदम उठाए। संत-महात्माओं और हिंदू समाज को केवल यही मंजूर है।’
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने अभी तक गंगा रक्षा के मुद्दे पर केवल और केवल धोखा देने का कार्य़ किया है। उन्होंने केंद्र सरकार से प्रश्न करते हुए कहा- ‘गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित करने का आखिर क्या मतलब है जब आप इसकी रक्षा के लिए ही कोई कदम नहीं उठा रहे हैं और आप इसकी रक्षा के नाम पर साधु-संतों सहित समूचे हिंदू समाज को धोखा दे रहे हैं।’
महंत ज्ञानदास ने केंद्र सरकार पर गंगा के साथ अत्याचार और उसकी हत्या करने का आरोप लगाया और कहा कि सरकार का रवैया न तो गंगा के हित में है और न ही देश के हित में, यह सरासर अन्याय है।
उन्होंने कहा- ‘यदि गंगा नहीं रहेगी तो हम लोग कहीं के नहीं रहेगें। अगर गंगा नहीं रही तो हरिद्वार, प्रयाग, काशी और गंगा सागर नहीं रहेगा।’
महंत ज्ञानदास ने कहा- ‘गंगा एक ऐसी नदी है जो हर जगह अपना छाप छोड़ती है। दूसरी नदियों में यह शक्ति नहीं हैं, जो गंगा में हैं। अगर कोई नदी सागर में मिलती है तो उसका अस्तित्व समाप्त हो जाता है। लेकिन गंगा जब सागर में मिली तो उसका नाम गंगा सागर हो गया। यह हमारी गंगा मां की पहचान है। हम लोग बहुत ज्यादा व्यथित हैं, परेशान हैं। हम हिन्दू, साधु-सन्त हिन्दुस्तान में रहकर यदि मां गंगा को नहीं बचा सकते तो कर क्या सकते हैं।’
बुधवार, अगस्त 11, 2010
‘प्रेम, करुणा और मानवता ही हिंदू धर्म की बुनियाद’
हॉलीवुड की प्रख्यात् अदाकार जूलिया रार्बट्स ने हिंदू धर्म अपनाकर एक बार फिर इस बहस को जन्म दे दिया है कि आखिर हिंदू धर्म है क्या चीज, किस बला का नाम है यह ..?
जूलिया को यह पूर्ण विश्वास है कि हिंदू धर्म से अगले जन्म में सुख और शांति की जिंदगी मिल सकेगी।
जूलिया ने कहा- 'मैं निश्चित तौर पर हिन्दू बन गई हूँ। इस जीवन में मेरे दोस्तों और परिवार ने मुझे जरूरत से ज्यादा बिगाड़ दिया है। अब मैं अपना अगला जन्म भी खराब नहीं करना चाहती और अगले जन्म में सुख व शांति से रहना चाहती हूं। इसलिए मैंने हिंदू धर्म अपनाया है।'
42 वर्षीय जूलिया के माता-पिता क्रमशः बैप्टिस्ट और कैथोलिक हैं। वह अपनी फिल्म 'ईट प्रे लव' की शूटिंग के लिए पहली बार भारत आई थीं। शूटिंग के दौरान उनको हिंदू धर्म को करीब से जानने-समझने का मौका मिला था। जिसके बाद उन्होंने हिन्दू धर्म स्वीकार कर लिया।
यही नहीं, धर्म परिवर्तन के बाद उन्होंने अपने बच्चों का नाम भी बदलकर हिंदू देवी-देवताओं के नाम पर रख दिया है।
जूलिया कहती हैं- ‘मैं अपने कैमरामैन पति डेनियल मोडर और तीन बच्चों हैजल, फिनायस और हेनरी के साथ भजन-कीर्तन तथा प्रार्थना करने के लिए नित्य-प्रति मंदिरों में जाती हैं और घंटों पूजा-अर्चना करती हूँ।’
वैसे, चाहे जो कुछ भी हो लेकिन हिंदू धर्म कितना पुराना है, यह कोई स्पष्ट नहीं बता सकता और न ही इसके संदर्भ में कोई प्रमाण या तथ्य ही मौजूद हैं।
हां, लेकिन इतना अवश्य कहा जाता है कि सृष्टि के प्रारम्भ से मानवों का जो स्वाभाविक कर्तव्य या कार्य-व्यवहार रहा है, उसी का आगे चलकर हिंदू धर्म नाम पड़ गया होगा। यानि जो कुछ भी स्वाभाविक है, प्रकृति के अनुकूल है और वैज्ञानिक दृष्टि से पूर्ण रूपेण विधिसम्मत है, उसको हिंदू धर्म कहा जा सकता है।
हालांकि ‘हिंदू’ शब्द की व्युत्पत्ति कैसे हुई, यह जानना ‘हिंदू धर्म’ को परिभाषित करने के लिए कोई मायने नहीं रखता। यह केवल सामान्य ज्ञान का विषय हो सकता है। क्योंकि केवल शब्द के आधार पर इसकी व्याख्या करने से लगता है कि इसकी परिभाषा के साथ न्याय नहीं हो रहा है और सब कुछ छूट सा जा रहा है।
यह ऐसा धर्म है जो हर स्थिति, परिस्थिति और मनःस्थिति में केवल और केवल मानवता व राष्ट्रीयता की वकालत करता है। इसलिए इसको राष्ट्रीयता का पूरक और मानवता का पर्यायवाची कहा जा सकता है। यह सृष्टि की सबसे उदार जीवन पद्धति है। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने भी अपने एक फैसले में इसको एक आदर्श जीवन पद्धति करार दिया है। यह हमें सामाजिक मानदण्डों के अंतर्गत हर तरह से आजादी प्रदान करता है।
हिंदू धर्म का लचीलापन ही इसकी सबसे बड़ी विशेषता है। इसमें कट्टरता का कहीं कोई स्थान नहीं है। यह देश, काल और परिस्थिति के अनुसार बदलाव करने की प्रेरणा देता है।
हिंदू धर्म व्यक्ति को किसी एक पुस्तक, एक मार्गदर्शक या एक पूजा-स्थल तक सीमित नहीं करता। यह हमें आज़ादी देता है कि हम अपनी सोच, अपनी सुविधा के अनुसार अपनी जीवन शैली और पूजा पद्धति का चयन करें। यह लचीलापन ही है, जो हिंदुत्व को चिर-पुरातन होते हुए भी नित्य-नूतन बनाए रखता है।
हिंदू धर्म की समीचीन व्याख्या ना तो मैं कर सकता हूं और ना ही आप....। इसका केवल एक ही कारण है कि इसकी विशालता की कोई आखिरी सीमा नहीं है। जहां आप अंत मानते हैं, वहां पहुंचेंगे तो ऐसा प्रतीत होता है कि अभी आगे बहुत कुछ और भी है।
अब इसके आगे केवल इतना ही कहा जा सकता है कि...... जूलिया रार्बट्स ने हिंदू धर्म अपनाकर एक बार फिर इस बात को साबित किया है हिंदू धर्म ना सिर्फ पुरातन धर्म है बल्कि भटके हुए और शांति की तलाश कर रहे लोगों का अंतिम पड़ाव भी....।
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