
ये मुस्लिम धर्मगुरू महिलाओं को केवल बच्चे पैदा करने की मशीन समझते हैं। इसको लेकर धर्मगुरूओं का अनर्गल बयान जारी है। एक तरफ जहां महिला आरक्षण बिल में मुस्लिम महिलाओं के आरक्षण की मांग की जा रही है तो वहीं दूसरी तरफ देश के कुछ कठमुल्ले महिलाओं को उनकी हदें बताने में लग गए हैं। पहले एक मौलवी ने औरतों को पर्दे में घर पर रहने की सलाह दी थी, अब शिया धर्म गुरू कल्बे जव्वाद ने कहा है कि महिलाओं का काम बच्चे पैदा करना है, राजनीति करना नहीं।
इलाहाबाद में आयोजित धर्मगुरूओं के एक सम्मेलन में कल्बे जव्वाद ने कहा कि खुदा ने महिलाओं को अच्छे नस्ल के बच्चे पैदा करने के लिए बनाया है, इसलिए अच्छा रहेगा कि वे वही करें, इसी में सबका भला है। यदि वे घर छोड़कर राजनीति में आ जाएंगी तो घर के बच्चे अच्छे नेता कैसे बन पाएंगे।
इससे पहले शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े मदरसे नदवा-उल-उलेमा के प्रमुख मौलाना सर्रदुर रहमान आजमी नदवी ने कहा था कि महिलाएं अपनी हदों से आगे न जाएं तो ही अच्छा होगा। उन्होंने कहा कि अगर मुस्लिम महिलाओं को राजनीति में आना है तो वे सबसे पहले पर्दा उतार दें। क्योंकि इस्लाम पर्दा उतारकर कहीं भी भाषण देने का अधिकार नहीं देता।
नदवी ने कहा कि इस्लाम में महिलाओं को घर-परिवार और बच्चों के देखभाल करने के लिए बनाया गया है। उन्हें पढ़ाई और देश सेवा का अधिकार जरूर दिया गया है लेकिन इस्लाम महिलाओं को सार्वजनिक स्थानों पर भाषण देने की इजाजद नहीं देता है।
इस बयान के बाद एक बार फिर से महिलाओं की आजादी को लेकर बहस शुरू हो गई है। अधिकांश लोग महिलाओं को पुरुषों के बराबर मानते हैं, लेकिन कुछ मुस्लिम उलेमा और मौलवी इन दिनों सठिया गए हैं। कोई औरतों को बच्चे पैदा करने की मशीन बता रहा है तो कोई राजनीति में आने की मंशा रखने वाली महिलाओं को मर्द बनने की सलाह दे रहा है।