शनिवार, अगस्त 30, 2008

संकल्प

आओ कोलाहल को स्वर दें !
बिखरे भावों को शब्द,
शब्द को गीत,
गीत को लय दें।

वर्षा के जल को प्रवाह दें,
प्रवाह को दिशा ,
नदी को भगीरथ तट दें।

संशय भरे अनिश्चय को निष्ठा ,
निष्ठां को विश्वास ,
विश्वास को संकल्पित मन दें।

भटके लोगों को राह ,
राह को ध्येय ,
ध्येय तक बढ़ते पग दें ,
आओ कोलाहल को स्वर दें ।

प्रस्तुति : पवन कुमार अरविन्द

3 टिप्‍पणियां:

पवन कुमार अरविन्द ने कहा…

Bahut Achha laga.
Aswani

aarya ने कहा…

अगर ऐसी सोच हर भारतीय की हो जाए तो इस देश से आतंकवाद हमेशा के लिए मिट जाए. हम आपके विचार से सहमत हैं.
रत्नेश त्रिपाठी, ''शोध छात्र''

aarya ने कहा…

राज ठाकरे केवल एक नाम नहीं है बल्कि एक ऐसी सोच बनकर उभरा है जिसे यदि हर राज्य के लोग अपना लें तो देश २८ भागों में बट जायेगा . ऐसे में यह समझना आवश्यक है कि देश बड़ा है कि राज ठाकरे जैसे गन्दी सोच वाले नेता. आपके विचार से मै पूर्ण सहमत हूँ.
रत्नेश त्रिपाठी

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