मंगलवार, जून 08, 2010

'नेपाल' शब्द की व्युत्पत्ति


बालमुकुन्द पाण्डेय
प्राचीन ग्रन्थों में नेपाल शब्द नहीं मिलता। रामायण, महाभारत, वेद, ब्राह्मण, जातक, यहां तक कि जैन और बौद्ध ग्रन्थों में भी नेपाल का कहीं जिक्र नहीं आता है।

पूर्व में सम्पूर्ण भारत वर्ष विभिन्न रियासतों में बंटा था, उसी के अन्तर्गत वर्तमान नेपाली क्षेत्र भी 'बाइसी और चौबीसी' यानी 46 रियासतों में बंटा था, जिसमें अवध और मिथिला का क्षेत्र नहीं था।

लोक-कथाओं के आधार पर नेपाली जनता का दृढ़ विश्वास है कि वर्तमान काठमाण्डू ही प्रारम्भ में नेपाल के नाम से जाना जाता था। आज भी जब तराई से नेपाली काठमाण्डू जाता है, तो कहता है कि, 'नेपाल जा रहा हूं।'

नेपाली ग्रन्थों के आधार पर काठमाण्डू तथा आस-पास के हिमालय क्षेत्र को 'शिवक्षेत्र' कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान ब्रह्मा के पौत्र हरिष्ट नेमि को अपभ्रंश में 'नेमुनि' कहा जाता था। ऐसे नेमुनि दारा पालित शिवक्षेत्र को नेपाल कहा गया होगा।

एक दूसरे विचार के आधार पर, जो नेपाल में प्रचलित है कि घाटी जल से भरी हुई थी। वासुदेव श्रीकृष्ण ने घाटी के मुहाने को काटकर जल बाहर निकाल दिया और वहां गाय पालने वाला वंश स्थापित हुआ, जिसे कालांतर में गोपालवंश कहा गया। उसका अपभ्रंश गोपाल से नेपाल हो गया होगा।

एक अन्य जानकारी एवं लोक-कथाओं के आधार पर, माना जाता है कि पहाड़ी पर बकरियों और भेड़ों के बहुतायत के कारण वहां ऊन का कारोबार था। ऊन का कारोबार करने वाले को पाल कहा जाता है। इसके कारण भी वर्तमान काठमाण्डू का नाम नेपाल पड़ा होगा।

'काठमाण्डू'

जगद्गुरू शंकराचार्य के दारा सनातन धर्म के प्रसार एवं उत्थान के लिए किए गये प्रयास के क्रम में, शिवक्षेत्र नेपाल में पशुपतिनाथ की स्थापना की गयी थी। शिवपुराण के अनुसार, केदारनाथ से लेकर वर्तमान काठमाण्डू तक भगवान का एक ही विग्रह है, जिसका सिर काठमाण्डू में और पैर केदारनाथ में है। इसीलिए, द्वादश ज्योतिर्लिंगों के दर्शन के साथ पशुपतिनाथ का दर्शन, दर्शन की पूर्णता के लिए अनिवार्य किया गया।

पशुपतिनाथ की स्थापना के बाद मंदिर का निर्माण लकड़ियों के द्वारा हुआ। संस्कृत में लकड़ी को 'काष्ठ' कहते हैं। काष्ठ-मण्डपम् के अपभ्रंश से ही काठमाण्डू शब्द की व्युत्पत्ति हुई।

आज भी हनुमान ढोका, पाटन ढोका और पशुपतिनाथ मंदिर लकड़ी के उत्कृष्ट इमारतों के रुप में देखे जा सकते हैं। ढोका का अर्थ है दरवाजा।
(लेखक : अ.भा. इतिहास संकलन योजना के राष्ट्रीय सह-संगठन मंत्री हैं)

3 टिप्‍पणियां:

aarya ने कहा…

सादर वन्दे !
बहुत ही उत्तम जानकारी आपने उपलब्ध करायी| इसके लिए आपका आभार !
रत्नेश त्रिपाठी

Smart Indian ने कहा…

यह भी कहा जाता है कि नेपाल की नेवार जाति के नाम पर नेपाल का नामकरण हुआ है.

संगीता पुरी ने कहा…

बहुत अच्‍छी जानकारी !!

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