शुक्रवार, जनवरी 15, 2010

आधुनिक गणित में वेदों के योगदान की पर्याप्त संभावनाएं


वेद विश्व का सबसे प्राचीन ग्रंथ है, जिससे इतिहासकार भी सहमत हैं। शून्य से लेकर नौ तक के अंकों का प्रयोग वैदिक ऋचाओं में भी है। इसके साथ ही और कई ऐसे तथ्य हैं, जिनकी खोज आवश्यक है।

वेद की ऋचाओं का आधुनिक गणित में क्या योगदान हो सकता है, इन सभी संभावनाओं को लेकर डा. परमेश्वर झा शोधरत हैं। डा. झा कहते हैं कि आधुनिक गणित में वेदों के योगदान की पर्याप्त संभावनाएं हैं।

बिहार के सुपौल निवासी डा. झा का प्रयास यदि सफल हुआ तो दशमलव तथा शून्य ही नहीं अपितु और भी कई गणितीय आंकड़े एवं संक्रियाएं, विश्व को भारत की देन हैं, ऐसा मानने पर मजबूर कर देंगी।

भारत में आर्यभट्ट पर 1970 में पहला शोध प्रबंध 'आर्यभट्ट एंड हिज कंट्रीब्यूशन्स टू मैथमेटिक्स' एवं राज्य में पहला 'हिस्ट्री आफ मैथमेटिक्स' पर शोध प्रबंध प्रस्तुत करने वाले डा. झा के पहले शोध प्रबंध को बिहार मेथेमेटिकल रिसर्च सोसाइटी पटना के सहयोग से 1988 में प्रकाशित किया गया।

ज्ञातव्य हो कि आर्यभट्ट ने अपनी पुस्तक 'आर्यभट्टम' में गणित के बहुत सारे सिद्धांतों का प्रयोग किया है, जिनका प्रयोग वैदिक ऋचाओं में भी है।

वर्ष 1959 में स्थानीय बीएसएस कालेज में विभागाध्यक्ष के रूप में गणित का अध्यापन कार्य शुरू करने वाले श्री झा, 1997 में प्राचार्य के पद से इसी कालेज से सेवानिवृत्त हुए। इस दौरान दो वर्षो तक सहरसा पीजी सेंटर में विभागाध्यक्ष, बीएनएमयू मधेपुरा में विज्ञान संकाय के डीन के पद को भी इन्होंने सुशोभित किया।

एंसिएंट इंडियन मैथमेटिक्स, जैन मैथ, मिथिलाज कंट्रीब्यूशन्स इन दिस फिल्ड जैसे विषयों पर लगभग पांच दर्जन रिसर्च पेपर इन्होंने प्रस्तुत किया। 2005 में बिहार मैथमेटिकल सोसाइटी के रिसर्च प्रोजेक्ट 'लाइव्स एंड व‌र्क्स आफ मैथमेटिक्स आफ बिहार' को पूरा किया।

डा. झा की अब तक गणित की चार पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं और तीन प्रकाशनाधीन हैं। जिनमें उच्चतर माध्यमिक अंकगणित (1962), आर्यभट्ट एंड हिज कंट्रीब्यूशन्स टू मैथ (1988), भारतीय विज्ञान के महान उन्नायक आर्यभट्ट (1999), लाइव्स एंड व‌र्क्स आफ मैथेमेटिशियन आफ बिहार (2005) में प्रकाशित हो चुकी है।

डा. झा, कई रिसर्च स्कालर्स को हिस्ट्री आफ मैथमेटिक्स विषय पर मार्गदर्शन भी दे चुके हैं। बिहार रिसर्च सोसाइटी, कुंद ज्ञानपीठ इंदौर, गुरुकुल कांगड़ी विवि हरिद्वार, बीपीपी सहरसा व स्थानीय जिला प्रशासन से पुरस्कृत डा. झा का नाम व‌र्ल्ड डाइरेक्टरी आफ हिस्ट्रीयन्स आफ मैथमेटिक्स टोरंटो, बायोग्राफी इंटरनेशनल दिल्ली, मैथमेटिकल साइंस: हूज हू दिल्ली आदि में भी शामिल है।

फिलहाल, गणित के अनेक संगठनों से जुड़े श्री झा वेद की ऋचाओं का गणित में योगदान ही नहीं बल्कि अन्य संभावनाओं को भी तलाशने में जुटे हैं। सीमित संसाधनों के बीच जीवन के चौथे चरण में, शोध के प्रति उनका लगाव समर्पण की पराकाष्ठा को ही प्रदर्शित करता है।

4 टिप्‍पणियां:

संगीता पुरी ने कहा…

सीमित संसाधनों में ही रिसर्च अधिक हुआ करते हैं .. सरकार की उतनी सुविधाओं के मध्‍य किसी को नए नए रिसर्च करते नहीं देखा गया अबतक .. छोटे से एक कदम बढाने से नाम यश जो उनको मिल जाता है।

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

"आपका कार्य सराहनीय है - ऐसी बातों के प्रचार-प्रसार की बहुत आवश्यकता है!"
--
ओंठों पर मधु-मुस्कान खिलाती, कोहरे में भोर हुई!
नए वर्ष की नई सुबह में, महके हृदय तुम्हारा!
संयुक्ताक्षर "श्रृ" सही है या "शृ", मिलत, खिलत, लजियात ... ... .
संपादक : सरस पायस

rahul ने कहा…

pandit ji vedon men ganit ke alawa bhot sara viGyan bhi he

वेंदों-में-विज्ञान
http://dharmkibaat.blogspot.com/

अनुनाद सिंह ने कहा…

पवन कुमार जी,
आपका हिन्दी ब्लागजगत में अभिनन्दन है। आप भारत के सच्चे प्रहरी हैं। समाज को जागृत करने का काम कर रहे हैं। आपको चिट्ठाकारी करते देखकर अपार हर्ष हो रहा है।

डा झा का योगदान का परिमाण जानकर भी बहुत खुशी हुई। भारत का इतिहास अब भी बहुत हद तक अंधेरे में है और जो कुछ ज्ञात है वह सब भारत के दुश्मनों द्वारा लिखा गया है। इसलिये भारत के वास्तविक इतिहास को खोज निकालना बहुत आवश्यक और चुनौतीभरा कार्य है।

फ़ॉलोअर

लोकप्रिय पोस्ट

ब्‍लॉग की दुनिया

NARAD:Hindi Blog Aggregator blogvani चिट्ठाजगत Hindi Blogs. Com - हिन्दी चिट्ठों की जीवनधारा Submit

यह ब्लॉग खोजें

Blog Archives